चंडीगढ़, Hindi7.com ।। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव प्रकाश करात ने कहा है कि “प्रधानमंत्री को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए।” पत्रकारों से बात करते हुए करात ने कहा कि “एक अगस्त से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में यूपीए सरकार को एक मजबूत लोकपाल विधेयक पेश करना चाहिए।” गौरतलब है कि केंद्र की मनमोहन सरकार संसद के मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक को सदन के पटल पर रखने का फैसला कर चुकी है।

करात ने याद दिलाते हुए कहा कि “इससे पूर्व में वर्ष 1989, 1996, 1998 और 2001 में, जब लोकपाल के मसौदे को पेश किया गया था, तो उसमें प्रधानमंत्री को भी इसके दायरे में रखा गया था।”

प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने संबंधी यूपीए सरकार के फैसले पर सवालिया निशान लगाते हुए करात ने कहा कि “प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार निरोधक कानून के दायरे में हैं, इसलिए उन्हें लोकपाल विधेयक के दायरे में भी लाया जाना चाहिए।”

करात सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायमूर्तियों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखना चाहते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार है, के समाधान के लिए “राष्ट्रीय न्यायिक आयोग” के गठन का विकल्प सुझाते हैं, जो लोकपाल के बदले न्यायपालिका पर निगरानी रखने का कार्य करेगा।

 

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