नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा उनके ऊपर किए जाने वाले मौखिक हमलों का जवाब उन्हीं की शैली में देने से इंकार किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने विश्व की राजनीति में शब्दों के इस्तेमाल में उदारता बरतने की उम्मीद जताई।

प्रिटोरिया में आयोजित भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका देशों के संगठन इब्सा के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद स्वदेश लौटते हुए प्रधानमंत्री ने पत्रकारों से कहा, “विदेशी जमीन पर मैं किसी राष्ट्रीय नेता की आलोचना करने नहीं जा रहा। मैं आडवाणी को एक सफल यात्रा की बधाई देता हूं।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं उम्मीद करूंगा कि आडवाणी जो कभी-कभी असंयमित शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, उससे बचें। मेरा मानना है कि राजनीति में कठोर शब्दों से बचा जाना जरूरी है।”

ज्ञात हो कि आडवाणी ने अपनी ‘जनचेतना’ यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के नागपुर के समीप एक सभा को सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर निशाना साधा।

आडवाणी ने कहा, “सरकार की हालत अत्यंत बुरी है। कभी-कभी मुझे मनमोहन सिंह पर दया आती है हालांकि किसी समय मैं उनका काफी सम्मान करता था।” उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री को ‘सबसे कमजोर बताया।’

अन्ना हजारे का आंदोलन उद्देश्य में सफल रहा :

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रभावी लोकपाल पर शीघ्र ही एक विधेयक लाने का भरोसा देते हुए बुधवार को कहा कि गांधीवादी अन्ना हजारे का आंदोलन अपना ‘उद्देश्य पाने में सफल’ रहा। साथ ही उन्होंने सामाजिक संगठन के सदस्यों पर हाल में हुए हमलों की भी निंदा की।

प्रधानमंत्री ने पत्रकारों से कहा, “मैं इस मौके पर किसी व्यक्ति का आलोचना करना पसंद नहीं करूंगा लेकिन मेरा मानना है कि अन्ना हजारे के आंदोलन ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है।”

प्रधानमंत्री से यह पूछे जाने पर कि अन्ना हजारे और उनकी टीम भारत में भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार बता रही है और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल पर हुए हमले के बारे उनका क्या कहना है।

उन्होंने कहा, “हम एक प्रभावी लोकपाल विधेयक लाने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि संसद एक प्रभावी विधेयक लाएगी। यह लोगों के लिए एक आश्वासन होगा कि देश में भ्रष्टाचार को पनपने नहीं दिया जाएगा।”

भूषण और केजरीवाल पर हुए हमलों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होती है और इस तरह के कार्यो की निंदा करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा पूरी तरह से मानना है कि हिंसा के सहारे कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। नाराजगी और निराशा जाहिर करने के और भी सभ्य तरीके हैं।”

सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून में बदलाव लाने की अपनी टिप्पणी से इंकार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैंने यह कभी नहीं कहा कि आरटीआई को किसी तरह से कमजोर होना चाहिए।”

विकास दर 8 से 8.5 फीसदी रहेगा :

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बावजूद 8-8.5 फीसदी विकास दर हासिल करेगा और अगले पंचवर्षीय योजना में 9 फीसदी का विकास दर हासिल किया जा सकता है।

तेलंगाना मसले के समाधान पर प्रयास जारी :

प्रधानमंत्री ने इस बात से इंकार किया कि तेलंगाना मुद्दे पर सरकार निष्क्रिय नहीं है इस मसले के समाधान के लिए कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कठिन विषय है लेकिन इसका समाधान असंभव नहीं है। विभिन्न पक्षों के बीच सहमति के लिए प्रयास किए जाएंगे। इस पर तत्काल निर्णय पर पहुंचना मुश्किल है।

गठबंधन में मतभेद असामान्य बात नहीं :

प्रधानमंत्री ने कहा कि गठबंधन के सहयोगियों में असहमति असामान्य बात नहीं है लेकिन संयुक्त प्रगति शील गठबंधन सरकार में प्रशासन की कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों ने जो जनादेश दिया है सरकार उसे सामान्य रूप से पूरा कर रही है।

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