पणजी ।। गोवा में 3,500 करोड़ रुपये के कथित अवैध खनन घोटाले में शुक्रवार देर शाम एक नया मोड़ आ गया। विधानसभा अध्यक्ष प्रतापसिंह राणे ने लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मनोहर पर्रिकर को उनके पद से हटा दिया। पीएसी की रिपोर्ट सदन के पटल पर न रखे जाने से नाराज विपक्ष के नेता एवं समिति के अध्यक्ष पर्रिकर ने राणे पर कांग्रेस से मिलीभगत का आरोप लगाया।

वहीं, भाजपा ने आरोप लगाया है कि हजारों रुपये के घोटाले का लाभ उठाने वालों में मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता शामिल हैं।

शुक्रवार देर शाम हुए एक घटनाक्रम में विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के नेता मनोहर पर्रिकर को लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद से हटा दिया और उनकी जगह कांग्रेस से बेहतर सम्बंध रखने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकविजय पई खोट को नियुक्त किया।

यह आदेश शुक्रवार शाम तब जारी किया गया जब पर्रिकर ने राणे पर कांग्रेस का पक्ष लेने तथा गोवा के कई हजार करोड़ रुपये के अवैध खनन घोटाले में संलिप्त एक ऐसे व्यक्ति को बचाने का आरोप लगाया जिसके खिलाफ पीएसी ने दस्तावेज जुटाए हैं।

वहीं, राणे द्वारा रिपोर्ट को पटल पर नहीं रखे जाने से नाराज विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया। रिपोर्ट में अवैध खनन के लिए मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत पर कथित तौर अंगुली उठाई गई है।

पर्रिकर का कहना है कि जब उन्होंने बुधवार को ही रिपोर्ट सौंप दी थी तो इसे सदन पटल पर रखे जाने से रोकना विधानसभा अध्यक्ष प्रतापसिंह राणे के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

पर्रिकर ने कहा, “आप रिपोर्ट को पेश करना नहीं चाहते हैं। हम बहिर्गमन कर रहे हैं क्योंकि हम किसी भी गैर कानूनी काम के भागीदार नहीं बनना चाहते।”

पर्रिकर ने विधानसभा अध्यक्ष पर राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के 75 प्रतिशत विधायक अवैध खनन में संलिप्त हैं।”

पर्रिकर ने पत्रकारों से कहा, “विधानसभा अध्यक्ष सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वह किसी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।”

रिपोर्ट को सदन में पेश करने से इंकार करते हुए राणे ने कहा, “रिपोर्ट की बारीकी से जांच करना मेरी जिम्मेदारी है। यदि यह नियमों के अनुरूप नहीं होगी तो इस तरह की रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकती। उन्हें इसके लिए कार्यक्रम बनाना चाहिए था। मुझे इस रिपोर्ट को पढ़ना पड़ेगा।”

राणे ने कहा कि पीएसी के सात सदस्यों में से सत्तारूढ़ कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गठबंधन के चार सदस्यों ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

इन चार विधायकों ने मंगलवार को यह कहकर रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था कि उन्हें पहले दस्तावेज का अध्ययन करना होगा।

रिपोर्ट में राज्य सरकार की कई एजेंसियां जांच के घेरे में आई हैं। इनमें खनन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण विभाग, वन विभाग व पुलिस विभाग शामिल हैं। इनके अलावा केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारतीय खनन ब्यूरो और खनन सुरक्षा महानिदेशालय पर भी गोवा में हुए अवैध खनन की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है।

बुधवार को पीएसी की रिपोर्ट अध्यक्ष को सौंपे जाने के कुछ घंटे बाद पर्रिकर ने विधानसभा में अवैध खनन घोटाले की जिम्मेदारी अपरोक्ष रूप से कामत पर डाली थी।

पर्रिकर ने कहा, “क्या मुख्यमंत्री खनन विभाग की स्थिति को बदलना नहीं चाहते। क्या वह दोषियों को सजा दिलवाना नहीं चाहते। क्या कोई तीसरा व्यक्ति इस बात का अनुमान लगाएगा कि वह इसमें शामिल थे।”

उन्होंने कहा, “जब वह मुख्यमंत्री थे तब निर्यात 1.6 करोड़ टन से बढ़कर 5.4 करोड़ टन हो गया था..खनन में अब तीन गुना की वृद्धि हो गई है। करीब तीन करोड़ टन अयस्क का उत्पादन वैध है जबकि दो करोड़ टन खनन वैध नहीं है।”

इस बीच, भाजपा ने आरोप लगाया कि राज्य में हजारों करोड़ रुपये के अवैध खनन घोटाले का लाभ पाने वालों में मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता शामिल हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव किरीट सोमैया ने कहा कि नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में पदस्थ एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी इस घोटाले में शामिल हैं।

पूर्व सांसद सोमैया ने कहा, “मात्र दो साल में 25,000 करोड़ रुपये का घोटाला भारत का सबसे बड़ा अवैध खनन घोटाला है। 2जी घोटाले की तरह इस घोटाले में धन विभिन्न कम्पनियों के माध्यम से आया। ये कम्पनियां कर बचाने की दृष्टि से स्वर्ग माने जाने वाले मॉरीशस और साइमन द्वीपों पर हैं।”

एक दशक से अधिक समय तक गोवा के खनन मंत्री रहे कामत की ओर इशारा करते हुए सोमैया ने इस घोटाले के सिलसिले में कई अन्य नेताओं तथा राज्य के मंत्रियों के नाम भी लिए।

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