नई दिल्ली ।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के उपवास मंच से दिये सुषमा स्वराज के एक बयान ने नए विवाद को जन्म दे ही दिया है, साथ ही जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भी हलचल मचा दी है।

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा ने कल अहमदाबाद में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी [पीडीपी] की नेता महबूबा मुफ्ती, जो भाजपा की घोर विरोधी हैं, ने भी एनआईसी की बैठक में नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। उधर, महबूबा मुफ्ती ने सुषमा की बातों का खंडन करते हुए कहा है कि उन्होंने कभी भी मोदी की तारीफ नहीं की है। वहीं, जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मेहबूबा द्वारा मोदी की सराहना करने से उन्हें तनिक भी आश्चर्य नहीं हुआ।

उल्लेखनीय है कि मोदी के सद्भावना मिशन में पहुंची सुषमा ने सोमवार को कहा था, “आडवाणी जी मोदी की तारीफ करें तो समझा जा सकता है कि वह स्नेह से उनकी तारीफ कर रहे हैं, मैं मोदी की तारीफ करूं तो समझा जा सकता है कि वह हमारी पार्टी के मुख्यमंत्री हैं इसलिए उनकी तारीफ कर रही हूं। लेकिन हाल ही में एनआईसी की बैठक में पीडीपी जैसी घोर विरोधी पार्टी की नेता मेहबूबा मुफ्ती ने मोदी की तारीफ की।”

मेहबूबा ने सुषमा के बयान का खंडन करते हुए कहा, “मेरी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया है। मैं भारत सरकार से आग्रह करती हूं कि वह मेरे भाषण की प्रति निकाले ताकि सब साफ हो जाए।”

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) निराश है। मैं उससे कहूंगी कि यदि उसे अपनी धर्मनिरपेक्षता साबित करने के लिए मुस्लिम नेताओं की जरूरत है तो वह फारूक अब्दुल्ला से संपर्क करे, जिन्होंने मोदी की प्रशंसा की थी और कहा था कि उन्हें मोदी की आंखों में अल्लाह दिखते हैं।”

उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए मेहबूबा ने कहा, “उमर उस समय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार में मंत्री थे जब गुजरात में मुसलमानों का कत्ले आम हुआ था।”

मेहबूबा ने कहा, “उमर दिन भर में हजार ट्वीट करते हैं ओर कहते हैं कि निजी जिंदगी में आई उलझनों के बावजूद वह बतौर मुख्यमंत्री कड़ी मेहनत कर रहे हैं। एनआईसी की उस बैठक में वह भी मौजूद थे लेकिन वह 15 दिनों बाद क्यों ट्वीट कर रहे हैं।”

सुषमा के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती ने राष्ट्रीय एकता परिषद [एनआईसी] की मीटिंग में कहा था कि उनके एक मुस्लिम दोस्त गुजरात में उद्योग लगाना चाहते थे। इसके लिए वह मोदी से मिलने के लिए समय चाहते थे। नरेंद्र मोदी ने उन्हें तुरंत समय दिया। मोदी ने सारे संबंधित अधिकारियों को बुला लिया था और आधे घंटे में ही सारी बातें फाइनल कर दी।

अब, महबूबा का कहना है कि सुषमा ने उनकी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। इधर, महबूबा को जवाब देते हुए सुषमा ने कहा ट्विटर पर लिखा है कि महबूबा ने 10 सितंबर को एनआईसी की बैठक में मोदी के बारें संबंधित बातें कही थी।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने महबूबा द्वारा सुषमा के बयान का खंडन किये जाने पर ट्वीट करते हुए कहा है कि महबूबा को चाहिए कि वह सच को स्वीकार कर लें, वैसे ही जैसे कि लालू प्रसाद यादव द्वारा आडवाणी को गिरफ्तार किये जाने पर उनको छोड़ने की सिफारिश करने की बात को उनके पिता ने स्वीकार किया था।

उमर ने ट्वीट किया, “मेहबूबा द्वारा मोदी की तारीफ किए जाने से मुझे तनिक भी आश्चर्य नहीं हुआ। वह जिसे पसंद करती हैं, उसकी तारीफ कर सकती हैं। मुझे आश्चर्य इस बात का है कि दूसरों ने भी उनका भाषण सुना था और इसके बावजूद वह इसका खंडन कर रही हैं।” उन्होंने कहा, “खंडन करने की अपेक्षा वह इसे स्वीकार क्यों नहीं कर रहीं। सुषमा स्वराज के बयान को झूठ कहने की अपेक्षा उन्हें इसे स्वीकार करना चाहिए।”

एक अन्य ट्वीट में उमर ने कहा, “कम से कम मेहबूबा के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बतौर गृह मंत्री यह बात स्वीकारी थी कि उन्होंने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव से लालकृष्ण आडवाणी को रिहा करने के लिए कहा था।”

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