पणजी ।। विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) की राज्य में हुए 3,500 करोड़ रुपये के खनन घोटाले पर तैयार रिपोर्ट शुक्रवार को पटल पर न रखे जाने से नाराज विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया।

पीएसी के अध्यक्ष व विपक्ष के नेता मनोहर पर्रिकर का कहना है कि जब उन्होंने बुधवार को ही रिपोर्ट सौंप दी थी तो इसे सदन पटल पर रखे जाने से रोकना विधानसभा अध्यक्ष प्रतापसिंह राणे के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

पर्रिकर ने सदन से बहिर्गमन से पहले कहा, “आप रिपोर्ट को पेश करना नहीं चाहते हैं। हम बहिर्गमन कर रहे हैं क्योंकि हम किसी भी गैर कानूनी काम के भागीदार नहीं बनना चाहते।”

सदन में रिपोर्ट पेश किए जाने से इंकार करते हुए राणे ने कहा, “रिपोर्ट की बारीकी से जांच करना मेरी जिम्मेदारी है। यदि यह नियमों के अनुरूप नहीं होगी तो इस तरह की रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकती। उन्हें इसके लिए कार्यक्रम बनाना चाहिए था। मुझे इस रिपोर्ट को पढ़ना पड़ेगा।”

राणे ने कहा कि पीएसी के सात सदस्यों में से सत्तारूढ़ कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गठबंधन के चार सदस्यों ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

इन चार विधायकों ने मंगलवार को यह कहकर रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था कि उन्हें पहले दस्तावेज का अध्ययन करना होगा।

रिपोर्ट में राज्य सरकार की कई एजेंसियां जांच के घेरे में आई हैं। इनमें खनन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण विभाग, वन विभाग व पुलिस विभाग शामिल हैं। इनके अलावा केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारतीय खनन ब्यूरो और खनन सुरक्षा महानिदेशालय पर भी गोवा में हुए अवैध खनन की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है।

बीते एक दशक से राज्य में खनन मंत्री रहे मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत की भूमिका को भी संदेह से देखा जा रहा है। वैसे रिपोर्ट में सीधे तौर पर उनका नाम नहीं लिया गया है।

बुधवार को पीएसी की रिपोर्ट अध्यक्ष को सौंपे जाने के कुछ घंटे बाद पर्रिकर ने विधानसभा में अवैध खनन घोटाले की जिम्मेदारी अपरोक्ष रूप से कामत पर डाली थी।

पर्रिकर ने कहा, “क्या मुख्यमंत्री खनन विभाग की स्थिति को बदलना नहीं चाहते। क्या वह दोषियों को सजा दिलवाना नहीं चाहते। क्या कोई तीसरा व्यक्ति इस बात का अनुमान लगाएगा कि वह इसमें शामिल थे।”

उन्होंने कहा, “जब वह मुख्यमंत्री थे तब निर्यात 1.6 करोड़ टन से बढ़कर 5.4 करोड़ टन हो गया था। इसमें तीन गुना की वृद्धि हुई। करीब तीन करोड़ टन उत्पादन वैध है जबकि दो करोड़ टन वैध नहीं है।”

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