नई दिल्ली ।। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हो रहे दो दिवसीय भारतीय युवक कांग्रेस (आईयूसी) के सम्मेलन को ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्वाचित पदाधिकारियों का सम्मेलन’ कहा गया है लेकिन राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का चुनाव नहीं, चयन हुआ है। केवल राज्यस्तरीय नेताओं का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुआ है। 

सूत्रों ने कहा है कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के नेतृत्व वाले एक दल ने आईयूसी के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों का चयन एक लम्बी प्रक्रिया के तहत किया है। इसमें लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और समूह चर्चा जैसे बिंदु शामिल रहे हैं।

कांग्रेस के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “यह घटना आईवाईसी के लोकतांत्रिकीकरण के गांधी के प्रयासों पर प्रश्नचिह्न् लगाती है।” 

गांधी के 2007 में पार्टी की युवा शाखा के प्रभार सहित कांग्रेस महासचिव बनने के बाद ‘बदलाव’ शब्द का बोलबाला रहा है। 

सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र से विधायक राजीव साटव की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय समिति में 10 सचिव और एक महासचिव जोड़े गए। सभी 11 नेताओं को कारपोरेट जैसी चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।

चयन से पहले राष्ट्रीय स्तर के प्रतिनिधियों ने दो दिवसीय शिविर में हिस्सा लिया, जहां प्रबंधन विशेषज्ञों और विषय विशेषज्ञों ने उन्हें सम्बोधित किया। साटव को भी 2010 में नामित ही किया गया था। 

आईवाईसी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि पेशेवर प्रतिभा की तलाश में कुछ ऐसे नेता राष्ट्रीय पदाधिकारी बन गए, जो राज्य समिति में भी स्थान नहीं पा सके थे। 

संगठन सूत्रों ने कहा कि राहुल के नेतृत्व में चलाए गए एक विशाल अभियान में 1.10 करोड़ युवा पहले ही आईवाईसी से जुड़ चुके हैं। आईवाईसी अभी भी सदस्यों के छाया चित्रों व उम्र प्रमाण पत्र सहित उनके विवरणों के दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया में है।

21 प्रमुख राज्य इकाइयों के चुनाव पूरे हो चुके हैं। लगभग 7,000 नवनिर्वाचित पदाधिकारी राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।

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