नई दिल्ली/अहमदाबाद ।। केंद्र सरकार ने मंगलवार को गुजरात सरकार से अपने अधीनस्थ कर्मचारी पर दबाव डालने के मामले में गिरफ्तार भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी संजीव भट्ट और उनके परिवार को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए कहा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से गुजरात सरकार के लिए यह निर्देश उस समय आया जब कुछ घंटे पहले अहमदाबाद न्यायालय ने भट्ट की न्यायिक हिरासत के खिलाफ राज्य सरकार की पुनरीक्षण याचिका पर अपना फैसला सात अक्टूबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया।

इसके पहले न्यायालय ने भट्ट को सुझाव दिया कि यदि वह तीन घंटे की पुलिस हिरासत में जाते हैं तो न्यायालय उन्हें जमानत दे सकता है लेकिन भट्ट ने यह सुझाव मानने से इंकार कर दिया।

ज्ञात हो कि भट्ट ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाए हैं।

इस बीच, भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को लिखे पत्र में पति की जान को खतरा होने की आशंका जाहिर की है। इस पत्र के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुजरात सरकार को भट्ट और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा है।

श्वेता का पत्र केंद्र सरकार को मिलने के बाद केंद्रीय गृह सचिव आर. के. सिंह ने वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक बुलाई।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “स्थानीय खतरे को भांपते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भट्ट और उनके परिवार को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए गुजरात सरकार को पत्र लिखा।”

अधिकारी ने कहा, “हम अपने स्तर पर भी स्वतंत्र रूप से खतरे का आकलन कर रहे हैं।”

उल्लेखनीय है कि गुजरात पुलिस के कांस्टेबल के.डी. पंत ने पुलिस में दर्ज अपनी शिकायत में कहा है कि भट्ट ने उन्हें धमकी दी और 27 फरवरी 2002 को मोदी द्वारा बुलाई गई एक बैठक से सम्बंधित एक गलत हलफनामे पर हस्ताक्षर के लिए उन पर दबाव डाला। यह बैठक गोधरा कांड के बाद बुलाई गई थी।

पंत के इस आरोप के बाद भट्ट को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया था।

इस बीच, भट्ट को पुलिस हिरासत में सौंपने की मांग करने वाली गुजरात सरकार की याचिका पर अहमदाबाद सत्र न्यायालय ने अपना फैसला सात अक्टूबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया। राज्य सरकार ने भट्ट को पुलिस हिरासत देने से इंकार करने वाले दंडाधिकारी अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।

सत्र न्यायाधीश जी.एन. पटेल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए भट्ट के वकील आई.एच. सईद ने कहा कि राज्य सरकार की पुनरीक्षण याचिका पर विधि के हिसाब से सुनवाई नहीं हो सकती।

वहीं, सरकार का पक्ष रखते हुए वकील प्रवीण त्रिवेदी ने दलील दी कि यदि पुलिस हिरासत मांगने वाली याचिका खारिज हो जाती है तो राज्य सरकार को पुनरीक्षण याचिका दायर करने का अधिकार है।

सुनवाई के दौरान भट्ट भी न्यायालय में उपस्थित थे। उन्होंने न्यायाधीश से कहा कि वह सुनवाई में मदद करना और फैसला सुनाए जाने के दौरान यहां उपस्थित रहना पसंद करेंगे लेकिन न्यायाधीश ने कहा कि उनकी मौजूदगी आवश्यक नहीं है।

न्यायालय ने भट्ट के सामने यह प्रस्ताव भी रखा कि अगर वह तीन घंटे के लिए पुलिस हिरासत में चले जाते हैं तो उन्हें तत्परता से जमानत दी जाएगी। भट्ट ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से मना कर दिया और कहा कि वह कोई समझौता नहीं करेंगे।

 

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