अहमदाबाद ।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर 2002 के साम्प्रदायिक दंगों में संलिप्तता का आरोप लगाने वाले राज्य के निलम्बित पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट को विशेष अदालत ने सोमवार को उन्हें जमानत दे दी।

इसके बाद वह जेल से रिहा हो गए। जेल से बाहर आने पर उन्होंने इसे ‘न्याय की जीत’ बताया। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी भट्ट की रिहाई का स्वागत किया।

 सत्र न्यायाधीश वी. के. व्यास ने इस शर्त पर भट्ट को जमानत दी कि वह जांच में सहयोग करेंगे और जब भी उन्हें बुलाया जाएगा वह अदालत में पेश होंगे।

भट्ट के वकील आई. एच. सैयद ने संवाददाताओं से कहा, “अदालत ने सोमवार को 11 बजे अपना फैसला सुनाया और उन्हें जमानत दे दी।”

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी भट्ट को 30 सितम्बर को गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने मोदी के खिलाफ गलत आरोप-पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए पुलिस कांस्टेबल के. डी. पंथ पर दबाब बनाया, जिसमें लिखा था कि वह गोधरा में रेलगाड़ी में आग लगने और दंगा भड़कने के बाद बुलाई गई मुख्यमंत्री की बैठक में मौजूद थे।

भट्ट 18 दिन तक जेल में रहे। जेल से बाहर आने पर समर्थकों ने फूलों से उनका स्वागत किया। वे उनके पक्ष में नारेबाजी कर रहे थे।

जेल के बाहर शांत व संयत दिख रहे भट्ट ने संवाददाताओं से कहा, “मैं खुश हूं कि न्याय की जीत हुई। इससे आगे भी जीत की उम्मीद जगी है।”

इस बीच, नई दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि अदालत के आदेश से न्याय व्यवस्था की स्वतंत्रता स्थापित हुई है। उन्होंने कहा, “यह मायने नहीं रखता कि लोग क्या अनुमान लगाएंगे और कितने सवाल खड़े होंगे। अंतत: हमने दिखाया कि हमारी व्यवस्था स्वतंत्र है और यह जनमत या किसी अन्य तरह के दबाव में नहीं झुकती।”

अदालत के फैसले से भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने राहत की सांस ली है। अहमदाबाद में उन्होंने कहा, “मैं वास्तव में अच्छा महसूस कर रही हूं। 18 दिनों बाद मैं उनसे मिलूंगी। इससे न्यायालय में मेरा भरोसा और बढ़ गया है।”

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