नई दिल्ली ।। भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] ने आरोप लगाया है कि संसद के मानसून सत्र में केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन [संप्रग] सरकार ने अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो दी।

संसद का मानसून सत्र गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद शुक्रवार को लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि निर्णय लेने और सरकार में ईमानदारी के मानक तय करने में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नेतृत्व पूरी तरह विफल रहा।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने विपक्ष और जनता से दूरी बनाए रखी। यहां तक कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी सरकार के सम्बंध अच्छे नहीं रहे और इसलिए कांग्रेस पूरे मन से सरकार के साथ नहीं रही।

भाजपा नेताओं ने कहा कि संसद के मानसून सत्र के दौरान उन्होंने महंगाई, राष्ट्रीय सुरक्षा, भ्रष्टाचार तथा इसके खिलाफ आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए, जिस पर सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। उन्होंने आरोप लगाया कि आवश्यक वस्तुओं, विशेषकर खाद्य पदार्थो की कीमते आसमान छू रही हैं, लेकिन सरकार इन पर अंकुश लगाने में विफल रही है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भी सरकार की कथनी और करनी दोनों में ही सख्ती नहीं दिखती। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के नेतृत्व में सामाजिक संगठनों के आंदोलन को लेकर सरकार संसद और उसके बाहर दोनों जगह विफल रही।

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