भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में एक समय ऐसा भी आया था, जब नागरिकों के सभी अधिकारों को सरकार ने आपातकाल लगा कर छीन लिया था। आपातकाल ने भारतीय राजनीति पर व्यापक असर डाला। देश में कई पुराने नेता खत्म हो गये तो कई नये नेताओं का उदय हुआ।
आइए जानते हैं आपातकाल क्या था? इसके भारतीय राजनीति पर क्या परिणाम पड़े? कितने दिनों तक देश में आपातकाल लगाया गया था?
आपातकाल क्या था?
वर्ष 1975 में उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रस्ताव पर देश के राष्ट्रपति ने भारत मेंआर्थिक आपातकाल की घोषणा की थी। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बड़ी घोषणा थी। सरकार के इस फैसले के साथ ही पूरे देश में नागरिकों के अधिकार को तात्काल प्रभाव से खत्म कर दिया गया।
पूरे देश में धरणा प्रदर्शण और विरोध करने के सभी अधिकार को खत्म कर दिया गया। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आपातकाल लगाना नैतिक रूप से गलत माना जाता है।
आपातकाल के समय क्या-क्या हुआ?
विपक्षी राजनेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया-
देश मे आपातकाल के ऐलान के साथ ही विपक्ष के लगभग सभी नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जयप्रकाश नारायण, अटल विहारी वाजपेयी, लालू यादव जैसे सभी नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर मिसा नामक कानून के तहत जेल भेज दिया।
मीडिया का दमन किया गया-
मीडिया के उपर भी सरकारी नियंत्रण का प्रयास किया गया। कई पत्रकारों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पत्रकारों को जेल भेजा गया, डंडे बरसाए गये। सरकार अपने देंखरेंख में अखबारों के खबर को छपवाना चाहती थी।
छात्र आंदोलन का दमन किया गया-
देश भर में चल रहे छात्र आंदोलन का दमन किया गया। छात्र नेताओं को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया गया।
आम नागरिकों पर भी हुए थे जुल्म-
आम नागरिकों पर सरकार का कहर टूटा था। जगह-जगह लोगों को पकड़ कर जबर्दस्ती नसबंदी कर दी गयी थी। आम लोग के पास कोई अधिकार नहीं था कि वो इस जधन्य अपराधों के विरुद्ध मुंह खोल सकें।
आपातकाल के क्या कारण थे?
आपातकाल को सरकार की हठधर्मिता मानी जाती है। देश भर में सरकार के विरूद्ध जनता में काफी आक्रोश था। वैसे निम्नलिखित कारणो को भी इसका आधार माना जाता है।
· देश भर में चल रहे छात्र आंदोलन – देश भर में खासकर बिहार में छात्रों के भीतर सरकार के विरूद्ध काफी आक्रोश था। यह आक्रोश लगातार बढ़ता ही जा रहा था। सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के लिये आपातकाल लगा दिया था।
· इंदिरा गांधी का अक्कखड़पन – इंदिरा गांधी पाकिस्तान के साथ युद्ध जीतने के बाद काफी अक्कखड़पन दिखाने लगी थी। लोकतांत्रिक आधार पर हो रहे प्रदर्शणों को भी वो पसंद नहीं कर रही थी।
· कोर्ट का फैसला- अदालत ने 1975 में इंदिरा गांधी के 1971 में मिली जीत को निरस्त कर दिया। अदालत के इस फैसले को आपातकाल लगाए जाने का तात्कालिक कारण माना जाता है।
· देशभर में सरकार के विरूद्ध बन रहे माहौल- देश भर में सरकार के विरूद्ध बन रहे माहौल का कारण देश भर में लगातार पड़े सुखा। किसानों के भीतर भी सरकार के प्रति काफी आक्रोश थी। साथ ही साथ छात्र आंदोलन ने सरकार की नींद हराम कर रखी थी।
देश में आपातकाल कितने दिनों तक रहा ?
देश भर में आपातकाल 22 माह तक लगा रहा। 25 जून 1975 की आधी रात से राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद आपातकाल की शुरआत हो गयी। देश भर में भारी जनदवाब के बाद सरकार को 22 माह बाद वर्ष 1977 में आपातकाल को खत्म करना पड़ा। आपातकाल को भारत को दुसरी गुलामी भी कहीं जाती है।
आपातकाल के परिणाम?
आपातकाल ने भारतीय राजनीति पर व्यापक प्रभाव डाला। देश भर में 1960 के दशक में लोहिया के नेतृत्व में शुरू हुई कांग्रेस हटाओं की राजनीति अपने चरम पर पहुंच गयी। आपातकाल के निम्नलिखित परिणाम सामने आए।
· देश में पहली गैर कांग्रेसी सरकार का निर्माण हुआ- भारतीय इतिहास में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार का गठन किया गया। जनता पार्टी की सरकार बनाई गयी।
· जनता पार्टी का गठन- देश की कई राजनीतिक दलों ने इस बात को समझा की अकेले दम पर कांग्रेस को सत्ता से नहीं हटाया जा सकता है। भारतीय जनसंध, लोकदल जैसी कई राजनीतिक दलों ने मिलकर जनता पार्टी का गठन किया।
· मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने- स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका निभाने वाले मोरारजी देसाई ने कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी के साथ आने का फैसला लिया था। उनके अनुभव और मेहनत को देखकर उन्हे देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।
· देश में कई नये नेताओं का उदय हुआ- आपातकाल के बाद देश में कई नये नेताओं का उदय हुआ जैसे लालू प्रसाद, नीतीश कुमार,शरद यादव ये सभी 1977 के आंदोलन में छात्र नेता थे। बाद के समय में इन नेताओं ने देश की राजनीति में अहम हिस्सा अदा किया।
· कांग्रेस पार्टी कमजोर हुई- आपातकाल के बाद हलांकि 1980 में कांग्रेस फिर से सत्ता मे आ गयी लेकिन उसके इस फैसले ने देश की जनता के नजर मे उसे कमजोर कर दिया। आज भी आपातकाल के मुद्दे पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस को घेरते रही है।