नई दिल्ली ।। जब-जब असुरों के अत्याचार बढ़े हैं और धर्म का पतन हुआ है, तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। इसी कड़ी में जब द्वापर युग में पृथ्वी पर राजा कंस का अत्याचार बढ़ा तो सोलह कलाओ से युक्त भगवान श्री कृष्ण का जन्म कंस की जेल में वासुदेव जी की पत्नि देवी देवकी के गर्भ से कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में हुआ था। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस बार यह पर्व 22 अगस्त, सोमवार को है।
इस तिथि को रोहिणी नक्षत्र का विशेष माहात्म्य है। श्री कृष्णजन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्स्व है, इसलिए यह दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देश के समस्त मन्दिरो को सजाया जाता है। कृष्णावतार के उपलक्ष मे झांकियां सजायी जाती हैं। भगवान कृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजाया जाता है। स्त्री-पुरूष रात के बारह बजे तक व्रत रखते हैं, रात को बारह बजे शंख तथा घंटो की आवाज से श्रीकृष्ण की जन्म की खबर चारो दिशाओ में गूज उठती है। भगवान श्रीकृष्ण की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है। प्रसाद ग्रहण कर व्रत को खोला जाता है।