कोलकाता ।। यूरोप के सरकारी कर्ज संकट के कारण दुनिया में फिर मंदी फैलने के भय को खारिज करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि ऐसी आशंका बेहद कम है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में आरबीआई के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा, “यूरोप के बारे आकलन यह है कि वर्ष 2012 में वहां दो फीसदी की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की जाएगी। मैं केवल संख्या बता रहा हूं कि अन्य लोग मंदी की बात करते हैं। निश्चित तौर पर अमेरिका में तेजी से विकास नहीं हो रहा है। जापान में भी सुधार हो रहा है। ऐसे में मैं मानता हूं कि वैश्विक मंदी की सम्भावना बहुत कम है।”

उन्होंने कहा, “जहां तक भारत का सवाल है तो विकास दर में गिरावट आ रही है लेकिन इसे मंदी के रूप में देखना अर्थशास्त्र की एक किताब तरह सोचना होगा।”

भारत में चालू खाता परिवर्तनीयता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में ऐसा नहीं होने जा रहा है।

उन्होंने कहा, “पूंजी खाता परिवर्तनीयता की बाधाओं को हटाने से पहले हमें देश में वित्तीय स्थिरता, ज्यादा विकसित वित्तीय बाजार, ज्यादा स्थाई विकास के साथ मुद्रास्फीति की दर में स्थिरता की जरूरत है।”

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