नई दिल्ली ।। चीन में आयोजित एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के खिलाफ अंतिम लीग मैच और फाइनल में एक-एक गोल करने वाले भारतीय हॉकी टीम के युवा प्रतिभाशाली फारवर्ड दानिश मुज्तबा का कहना है कि लीग स्तर पर एक भी मैच नहीं गंवाने के बाद उनके साथी फाइनल में जीत को लेकर आश्वस्त थे। दानिश ने कहा कि उनकी टीम चीन में हर हाल में अपना अजेय क्रम बरकरार रखना चाहती थी।

एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीतने के बाद मंगलवार को स्वदेश लौटी भारतीय टीम के इस होनहार खिलाड़ी ने अंतिम लीग मैच में पाकिस्तान के खिलाफ ऐसे मौके पर गोल किया था, जब भारतीय टीम मध्यांतर के बाद 1-2 से पिछड़ रही थी। फाइनल में पहुंचने के लिए उसे हार हाल में यह मैच जीतना था लेकिन दो मिनट के भीतर दो गोल खाने के बाद माइकल नॉब्स की टीम के हौसले पस्त लग रहे थे।

दानिश ने 53वें मिनट में गोल करके न सिर्फ भारत को बराबरी दिलाई बल्कि उसे जीत हासिल कर लीग स्तर पर शीर्ष पर पहुंचने का भी मनोबल दिया। यह अलग बात है कि भारत वह मैच जीत नहीं सका और फिर मलेशिया के अच्छे खेल की बदौलत वह फाइनल में पहुंचने में सफल रहा। इसके बाद दानिश ने फाइनल में पेनाल्टी शूट आउट में भारतीय टीम के लिए पहला गोल किया। यह गोल तब हुआ जब गुरविंदर सिंह चांडी का पहला ही प्रयास नाकाम चला गया था।

फाइनल में किए गए गोल और उससे पहले अंतिम लीग में किए गए बराबरी के गोल के बारे में पूछे जाने पर दानिश ने आईएएनएस से कहा, “अंतिम लीग मैच का गोल इसलिए अहम था क्योंकि हम वह मैच जीतना चाहते थे। मुझे खुशी है कि मैंने टीम के लिए बराबरी का गोल किया। यह अलग बात है कि हम जीत नहीं सके लेकिन अंतिम लीग मैच तक अजेय रहने के बाद हमारा मनोबल इतना ऊंचा हो गया था कि हम फाइनल में हारना नहीं चाहते थे। इसी विश्वास ने हमें जीत दिलाई।”

“फाइनल का पेनाल्टी शूटआउट वाला गोल इसलिए अहम था क्योंकि उस समय हम 0-1 से पिछड़ रहे थे। चांडी गोल मिस कर चुके थे। दरअसल, ओरडोस में आठ सेकेंड के अंदर गोली को छकाकर पेनाल्टी शूट करने का नियम था। यह पारम्परिक पेनाल्टी शूटआउट से अलग था क्योंकि इसमें गोलकीपर और गोल करने वाले खिलाड़ी के पास अपनी काबिलियत साबित करने के लिए आठ सेकेंड होते थे। 25 गज की दूरी से आठ सेकेंड में गोल करना अपना आपमें एक चुनौती होता है।”

“चांडी ने इसकी पहल की। वह बेशक पहला मौका चूक गए लेकिन इससे हमें अंदाजा मिला कि गोल किस तरह किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि इससे पहले हमने इस तरह की पेनाल्टी शूटआउट में हिस्सा नहीं लिया था। अभ्यास सत्र में इसका अभ्यास जरूर किया था लेकिन मैच और अभ्यास में अंतर होता है। मैं जानता था कि मेरे लिए गोल करना जरूरी है क्योंकि इससे हमें बराबरी मिलेगी। मैं सफल रहा। इससे मुझे बहुत खुशी मिली।”

“इसके बाद गोलकीपर पारात्तु रविंद्रन श्रीजेश ने दो गोल बचाकर हमें आगे कर दिया। इसका फायदा राजपाल सिंह, सरवनजीत सिंह, और युवराज वाल्मिकी को मिला, जिन्होंने सफलतापूर्वक गोल करके हमारी जीत पक्की कर दी। कोच नॉब्स ने हमें इसके लिए काफी मेहनत कराई थी। टूर्नामेंट से पहले ही आठ सेकेंड के पेनाल्टी वाला नियम हमें बता दिया गया था। मुझे खुशी है कि हमारे सम्मिलित प्रयास से देश को सम्मान मिला। हम आगे भी इसी तरह का प्रयास जारी रखेंगे।”

कोच नॉब्स के बारे में पूछे जाने पर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के निवासी दानिश ने कहा कि चूंकी कोच का यह पहला अंतर्राष्ट्रीय कार्य है, लिहाजा वह अभी खिलाड़ियों को पढ़ रहे हैं। वह यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि कौन सा खिलाड़ी उनके लिए भविष्य की रणनीति में फिट बैठेगा।

बकौल दानिश, “कोच ने हमारा खूब मनोबल बढ़ाया है। बड़े मैचों से पहले वह हमें सामान्य बने रहने को कहते हैं। पाकिस्तान के साथ होने वाले फाइनल से पहले कोच ने हमें उन मैचों के वीडियो दिखाए, जिनमें हमने पाकिस्तान के खिलाफ अच्छा खेल दिखाया है। कोच ने हमसे कहा कि अपनी पूरी काबिलियत झोंक दो और किसी भी पाकिस्तानी खिलाड़ी को हावी होने का मौका मत दो। पाक टीम के बड़े खिलाड़ियों के लिए कोच ने खास तौर पर रणनीति बनाई थी, जो काफी हद तक सफल रही।”

[जयंत के. सिंह]

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