रायपुर, Hindi7.com ।। ऑनलाइन सर्वे कंपनी स्पीक एशिया की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही। छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस इस ऑन लाइन सर्वे कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रही है। ध्यान रहे कि इस सर्वे कंपनी का संचालन सिंगापुर से किया जाता है। भारत में इसका न कोई कार्यालय है और न ही स्पीक एशिया भारत में रजिस्टर्ड है।

राज्य में स्पीक एशिया के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं, फिर भी इसके खिलाफ किसी प्रकार की जांच को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा था। जब इसकी भनक आईजी मुकेश गुप्ता को लगी, तो उन्होंने अफसरों को जबर्दस्त फटकार लगाई। इसके बाद, तो जैसे रायपुर पुलिस में खलबली मच गई। आईजी के कड़े निर्देशों को देखते हुए, आनन-फानन में एसएसपी दीपांशु काबरा ने स्पीक एशिया के खिलाफ जांच करने की जिम्मेदारी सीएसपी आजाद चौक, नीतू कंवल को सौंपा है।

सीएसपी कंपनी के खिलाफ मिली शिकायतों का गहनता से अध्ययन कर रही हैं। विशेष अनुसंधान सेल और सिविल लाइन थाने में लोगों की ओर से दायर की गई शिकायतों की प्रतियों को भी उनके कार्यालय पहुंचा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, शिकायत करने वाले लोगों की सूची तैयार की जा रही है, ताकि जरूरत के मुताबिक उनकी मदद ली जा सके।

एसएसपी श्री काबरा ने कहा कि इस पूरे मामले में पुलिस तथ्यों को गहराई से जुटा रही है। शिकायत करने वालों को बयान के लिए बुलाया जा रहा है। हम मामले की गंभीरता को समझते हैं और जल्द ही किसी निष्कर्ष को हासिल कर लेंगे।

इससे पहले रायपुर पुलिस स्पीक एशिया के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई करने से, यह कहकर बचती रही है कि शिकायत करने वालों के पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं। आईजी के कड़े रुख के बाद, अब मामले की गहनता से छानबीन की जा रही है।

गौरतलब है कि पिछले महीने के आखिरी रविवार को ही स्पीक एशिया के अधिकारियों ने शहर के शहीद स्मारक भवन में निवेशकों के लिए सेमिनार लगाया था, जबकि इस ऑन लाइन सर्वे कंपनी के खिलाफ, काफी पहले से ही शिकायतें पुलिस को दी जा रही हैं। रायपुर पुलिस की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं। एक तरफ निवेशकों का करोड़ों रुपया फंसा है, वहीं पुलिस खामोश बैठी है और जालसाज नये निवेशकों को रिझाने के लिए शहर में अपने तामझाम के साथ घूम रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के लगभग 50 हजार लोगों ने 150 करोड़ रुपए का निवेश स्पीक एशिया ऑन लाइन सर्वे कंपनी में किया था। कंपनी ने 11 हजार रुपए दो और हर महीने चार हजार रुपए लो की स्कीम शुरू की थी, लेकिन जैसे ही कंपनी के पास बड़ी मात्रा में निवेश आ गए, यह अपने किये वादे से मुकर गया। कंपनी ने पैंतरा बदलते हुए कहा है कि 11 हजार रुपए की राशि ऑनलाइन बिजनेस शुरू करने से पहले की जरूरी ट्रेनिंग देने के लिए ली गई थी।

निवेशकों ने बिना किसी दस्तावेज के ही अनधिकृत एजेंटों के जाल में फंसकर करोड़ों का निवेश कर दिया। अब एजेंट और कंपनी दोनों ही अपने निवेशकों के साथ असहयोग कर रहे हैं। 

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