शिलांग ।। मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने शुक्रवार को कहा कि भारत और बांग्लादेश के सीमांकन से राज्य को भले ही 41 एकड़ जमीन गंवानी पड़ी है, लेकिन इस समझौते से दोनों देशों में सद्भाव और समृद्धि आएगी।

संगमा, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ बांग्लादेश दौरे [छह-सात सितम्बर] पर गए शिष्टमंडल में शामिल थे। दोनों देशों ने विकास में सहयोग के लिए एक प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर किया है और भू-सीमांकन के लिए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया है।

संगमा ने आईएएनएस से कहा, “हमें बांग्लादेश के कब्जे में मौजूद लगभग 240 एकड़ भूमि हासिल होगी, लेकिन लगभग 41 एकड़ अपनी जमीन बांग्लादेश को देनी होगी।”

संगमा ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच यह नया समझौता मेघालय के हितों की रक्षा करेगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास अब विवादित सीमा के बदले एक ऐसी सीमा होगी जो सद्भाव व समृद्धि में मददगार होगी और विवादित सीमा आपसी विश्वास की सीमा में बदल जाएगी।”

ज्ञात हो कि लगभग ऐसे 55 परिक्षेत्र [एनक्लेव्स] भारत के कब्जे में हैं, जिनपर बांग्लादेश अपना दावा करता है। और इसी तरह के 111 परिक्षेत्र बांग्लादेश के कब्जे में हैं, जिनपर भारत अपना दावा करता है।

दोनों देशों के बीच हुए भूमि समझौते में इन विवादों को निपटाने का निश्चय हुआ है। जो विवादित परिक्षेत्र भारत के कब्जे में हैं, उन्हें बांग्लादेश को सौंपा जाएगा और जो बांग्लादेश के कब्जे में हैं, उन्हें वह भारत को सौंपेगा।

एक-दूसरे देशों के कब्जा वाले ये क्षेत्र उस समय अस्तित्व में आ गए थे, जब तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान और भारत के बीच 1960 के दशक के मध्य में अंतर्राष्ट्रीय सीमा का निर्धारण हुआ था। मेघायल में इस तरह के 11 परिक्षेत्र हैं।

बांग्लादेश जहां अपने दावे के लिए 1937 के दस्तावेज प्रस्तुत करता है, वहीं भारतीय पक्ष अपने दावे के समर्थन में 1914 के दस्तावेज दिखाता है। सभी परिक्षेत्रों के वास्तविक क्षेत्रफल का अनुमान फिलहाल नहीं लगाया जा सका है।

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