इम्फाल ।। मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी मंगलवार को लगातार 100वें दिन भी जारी है लेकिन सरकार की तरफ से इस बात के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि वह इस गतिरोध को हल करने का प्रयास कर रही है। इस बीच बाजारों में मौजूद आवश्यक वस्तुएं भी अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं।

राज्य के दो समुदायों कुकी और नगा के बीच चल रहे संघर्ष के कारण आम लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। इस इलाके में आवश्यक वस्तुओं के समाप्त हो जाने से बाहर से उनका आयात करना पड़ रहा है लेकिन खाद्य सामग्रियों से लदे ट्रकों के नाकेबंदी में फंसे होने की वजह से मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं।

युनाइटेड नगा परिषद (यूएनसी) के एक नेता ने कहा, “इस गतिरोध के लिए नगा समुदाय को जिम्मेदार मत ठहराइए। हम चाहते हैं कि मणिपुर के लोग बाहर आएं और सरकार से इस मुद्दे के बारे में सवाल करें।”

यूएनसी ने दो राष्ट्रीय राजमार्गो को एक अगस्त से ही बंद कर रखा है। सदर हिल्स जिला मांग समिति (एसएचडीडीसी) के विरोध में उन्होंने यह आर्थिक नाकेबंदी की है। इससे पहले एसएचडीडीसी ने भी सदर हिल्स इलाके को एक अलग कुकी बाहुल्य जिला बनाने की मांग को लेकर दो राजमार्गो को जाम कर दिया था।

एसएचडीडीसी ने हालांकि सरकार के लिखित आश्वासन मिल जाने के बाद अपनी नाकेबंदी हटा ली थी लेकिन नगा समुदाय का विरोध अभी भी जारी है।

राज्य के दो जनजातीय समुदायों के बीच आपसी संघर्ष की वजह से मणिपुर के लोग पिछले 100 दिनों से आवश्यक वस्तुओं की कमी और कालाबाजारी से जूझ रहे हैं। यहां की व्यवस्था पूरी तरह से टूटने के कागार पर पहुंच गई है।

पिछले 100 दिनों से जारी आर्थिक नाकेबंदी के दौरान चार लोगों की मौत हो चुकी है तथा 10 सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई है। स्थानीय लोग ईंधन, भोजन और दवाइयों की कमी का सामना कर रहे हैं।

एक समाजिक कार्यकर्ता अनिता देवी ने कहा, “सरकार के लिए यह काफी शर्म की बात है कि वह इस गतिरोध को दूर करने का प्रयास नहीं कर रही है। जबकि दो समुदायों के नेता भी आम लोगों की परेशानियों के लिए निंदा के उतने ही पात्र हैं।”

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