पटना ।। बिहार के किसान रामप्रवेश और नरेश सिंह पिछले दो वर्ष के सूखे के बाद इस बार धान की अच्छी उपज से खुश हैं। इन दोनों ने अलग-अलग योजनाएं बनाई हैं जो धान की अच्छी फसल होने के कारण उन्हें पूरी होने की उम्मीद है। अब उन्हें इंतजार है पैदावार का उचित मूल्य मिलने का। 

पटना के मसौढ़ी क्षेत्र के किसान रामप्रवेश कहते हैं कि इस वर्ष वह अपनी फसल गांव में आने वाले व्यापारियों को न बेचकर सरकारी धान क्रय-केंद्रों पर बेचेंगे, ताकि उन्हें अपने परिश्रम का पूरा इनाम मिल सके। उनका कहना है कि वह सरकार द्वारा किसानों के लिए प्रारम्भ की गई सभी योजनाओं का लाभ उठाते हैं। 

इधर, नरेश और उनका पूरा परिवार भी इस वर्ष की पैदावार से खुश है। नरेश का कहना है कि वह इस बार की अच्छी पैदावार से इस वर्ष अपनी पुत्री का विवाह कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में वृद्धि कर किसानों पर मेहरबानी की है। 

पिछले वर्ष धान का समर्थन मूल्य जहां 1,010 रुपये प्रति क्विंटल था वहीं इस वर्ष बढ़ाकर इसे प्रति क्विंटल 1,080 रुपये निश्चित किया गया है। ऐसा नहीं है कि राज्य में पैदावार में वृद्धि से केवल यही किसान खुश हैं। राज्य में हजारों किसान हैं जो अपनी भावी योजनाओं को पूरा करने के सपने बुन रहे हैं। 

राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि देश में पहली बार बिहार में 17 विभागों को मिलाकर कृषि मंत्रिमंडल की स्थापना हुई और कृषि रोड मैप तैयार हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। मोदी कहते हैं कि राज्य में 89 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं। 

उन्होंने बताया कि इस वर्ष 150 लाख टन अनाज का उत्पादन हुआ है, जिसमें धान की हिस्सेदारी 70 लाख टन है। राज्य में 78.82 लाख हेक्टेयर में क्षेत्र में फसलें बोई गईं, जिसमें 45.60 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। 

इधर, राज्य के कृषि विभाग के एक अधिकारी के अनुसार अगले पांच वर्षो के दौरान अनाज उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अधिकारी ने बताया कि गेहूं का औसत उत्पादन वर्तमान में बिहार में 49.75 लाख टन है, जिसे वर्ष 2017 तक बढ़ाकर 65.75 लाख टन करने की योजना है। 

राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मंत्री श्याम रजक ने ‘आईएएनएस’ को बताया कि राज्य में बिहार राज्य खाद्य निगम विभाग द्वारा 297 धान क्रय केंद्र खोले जा रहे हैं, जबकि भारतीय खाद्य निगम द्वारा मात्र 80 केंद्र ही खोले गए हैं। इसके अलावा 4,844 प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति (पैक्स) केंद्रों में धान की खरीद की जा रही है। इन समितियों को सरकार ने बतौर ऋण 800 करोड़ रुपये दिए हैं। 

खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के विकास आयुक्त अशोक कुमार सिन्हा कहते हैं कि किसानों से धान क्रय करने के लिए राज्य में विभिन्न माध्यमों से 5,917 केंद्र खोले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि धान के पैदावार की अधिकांश खरीद पैक्स के माध्यम से कराने का निर्णय लिया है। 

सरकार ने कुल 30 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद करने का निर्णय लिया है। इसमें भारतीय खाद्य निगम पांच लाख मीट्रिक टन, बिहार राज्य खाद्य निगम सात लाख मीट्रिक टन धान की खरीद करेगा, जबकि शेष 18 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद पैक्स के माध्यम से की जाएगी। 

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