पटना ।। दीपावली और धनतेरस के मौके पर यूं तो बाजारों में रौनक बढ़ गई है लेकिन बिहार में इस खास अवसर पर ऐसे भी बाजार सजते हैं जहां जुए का खेल जमकर होता है। ये बाजार दीपावली के एक सप्ताह पूर्व से सज जाते हैं जो आमतौर पर छठ तक चलते हैं। वैसे पुलिस इस दौरान जुआ खेलने वालों पर कड़ी नजर रखने की बात कहती है।

पटना सहित राज्य के करीब सभी इलाकों में दीपावली के मौके पर जुआ खेलने का चलन है। प्रत्येक वर्ष कोई लाख रुपये जीत रहा होता है तो कई लोग लाखों रुपये गंवाकर पछता रहे होते हैं लेकिन जुए का खेल यहां एक दस्तूर बन गया है।

दीपावली के मौके पर शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस खेल का प्रचलन है। गांवों के सार्वजनिक स्थलों पर जुए का खेल होता रहता है। गांवों में तो खुलेआम खेत-खलिहानों में जुआ खेला जाता है। यह अलग बात है कि शहरों की तुलना में यहां कम रकम के दांव लगते हैं।

आमतौर पर ताश के पत्तों का यह खेल पटना के कुछ बड़े होटलों और मुहल्लों में जमकर होता है। कई मुहल्ले तो ऐसे हैं जहां इस खेल के लिए किराए के मकान लिए गए हैं। ताश के पत्तों से खेले जाने वाले जुए के विषय में एक व्यक्ति का कहना है कि दीपावली के मौके पर ताश के खेल का अपना महत्व है।

पटना के नगर पुलिस अधीक्षक शिवदीप लांडे कहते हैं कि पुलिस जुआरियों पर नजर रखे हुए है। जुआ में हारने के बाद जुआरी धन के लिए आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं। यही कारण है कि पुलिस इन पर नजर रखे रहती है।

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