चण्डीगढ़ ।। चण्डीगढ़ में शहरी कचरे की समस्या को निपटाने के लिए स्थापित किया गया कचरा शोधन संयंत्र, वहां के निवासियों के लिए खुद समस्या बन गया है। इस संयंत्र को लेकर पर्यावरण एवं राजनीति, दोनों स्तरों पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

निजी कम्पनी, जेपी एसोसिएट्स द्वारा संचालित इस कचरा संशोधन संयंत्र से निकलने वाली दरुगध शहरी निवासियों, नगर निगम और पर्यावरणवादियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। संयंत्र का उद्घाटन 2008 में हुआ था।

व्यापारी राकेश शर्मा ने कहा, “दरुगध इतनी तेज है कि आप 10 किलोमीटर दूर से ही इसका अनुभव कर सकते हैं। पता नहीं प्रशासन क्या कर रहा है। यह कचरा संयंत्र कचरे की समस्या सुलझाने के बदले शहर के लिए एक समस्या बन गया है।”

शर्मा ने कहा, “एक दिन मैंने सोचा कि शायद मेरी कार में कुछ जल रहा है और मैं कार से बाहर आ गया। लेकिन पता चला कि बाहर भी चारों ओर वही दरुगध है।”

यह कचरा शोधन संयंत्र चंडीगढ़ के बाहर दादू माजरा में 10 एकड़ भूमि पर स्थापित है। यह भूमि चण्डीगढ़ प्रशासन ने कम्पनी को संयंत्र स्थापित करने के लिए दी थी।

चण्डीगढ़ नगर निगम के वरिष्ठ पार्षद व अधिकारी जेपी एसोसिएट्स के खर्च पर इसी तरह के कचरा शोधन संयंत्रों का अध्ययन करने जर्मनी गए थे। लेकिन ये पार्षद और अधिकारी अब कह रहे हैं कि जो संयंत्र और उपकरण उन्हें जर्मनी में दिखाए गए थे, चण्डीगढ़ में स्थापित संयंत्र व उपकरण वैसे नहीं हैं।

एक जांच समिति की अध्यक्ष पार्षद चंद्रमुखी शर्मा ने कहा, “जर्मनी गए लोगों ने जांच समिति के समक्ष कहा कि यहां स्थापित की गईं मशीन और उपकरण वैसे नहीं हैं, जैसे जर्मनी में दिखाए गए थे।”

चंद्रमुखी ने कहा, “परास्नातक चिकित्सा शिक्षा एवं शोध संस्थान (पीजीआईएमईआर) और अन्य संगठनों द्वारा किए गए कुछ अध्ययनों से जाहिर होता है कि संयंत्र से उत्सर्जित हो रही गैसें कैंसरकारी हैं।”

चण्डीगढ़ के मेयर रविंदर पाल सिंह ने कहा कि नगर निगम इस समस्या को सुलझाने के लिए हर संम्भव प्रयास कर रहा है। सिंह ने कहा, “संयंत्र स्थल पर कचरे का शोधन सम्भवत: बंद है। इसी कारण शहर के विभिन्न हिस्सों में दरुगध है। संयंत्र के आसपास के निवासी बुरी तरह पीड़ित हैं।”

इस संयंत्र को हर रोज 500 टन कचरे का शोधन करना था, लेकिन यह 300-400 टन कचरे को भी निपटाने में अक्षम साबित हुआ है।

नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शहर की कचरा एवं साफसफाई समिति से जल्द ही एक विशेष समिति गठित की जाएगी, जो गुजरात के सूरत स्थित एक कचरा शोधन संयंत्र को देखने जाएगी। उस संयंत्र को भी एक निजी कम्पनी चला रही है।

पंजाब विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष आर.के. कोहली कहा, “कचरा निपटान सही तरीके से नहीं हो रहा है, जिसके कारण शहर में यह दरुगध फैल रही है। मुझे नहीं पता कि किन शर्तो पर निजी कम्पनी को इस संयंत्र के लिए ठेका दिया गया। वह पूरी तरह विफल साबित हुई है।”

विपक्षी दल के पार्षदों ने नगर निगम में सत्ताधारी कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने उचित मानकों के बगैर ही संयंत्र स्थापित करने की अनुमति दे दी।

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