नई दिल्ली ।। मशहूर लेखिका और विवादास्पद सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने एक अखबार में लिखे कॉलम में अन्ना हजारे के आंदोलन की तीखी आलोचना की है। रॉय ने लिखा है कि अन्ना के अनशन के तरीके गांधीवादी हो सकते हैं, लेकिन उनकी मांगें बिल्कुल सही नहीं हैं।

रॉय ने सरकारी लोकपाल में खामियों की बात स्वीकार की, लेकिन कहा कि अगर गांधी जीवित होते तो अन्ना के सबसे ज्यादा ताकतवर और केंद्रित लोकपाल को देखकर बहुत दुखी होते। उन्होंने लिखा है कि अन्ना के आंदोलन से यह संदेश मिल रहा है कि जो लोग अनशन का समर्थन नहीं कर रहे हैं, वे सच्चे भारतीय नहीं हैं। यह नया संत असल में कौन है? क्या यह लोगों की आवाज़ है? कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों का समर्थन करने वाली अरुंधति रॉय ने हजारे पर आरोप लगाया कि वे अपने गृहराज्य महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर चुप्पी साधे क्यों रहे हैं?     

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