नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर सात सितम्बर को हुए बम विस्फोट में घायल एक युवा पिता गुरुवार को जिंदगी से जंग हार गया। सुबह 5.10 बजे उसने दम तोड़ दिया। इसके साथ ही विस्फोट में मरने वालों की संख्या 14 हो गई।

पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर निवासी 34 वर्षीया मृदुल बख्शी की जिंदगी में सबकुछ उनका पांच महीने का बेटा ही था। बेटे का खयाल ही थे, जिसने बुरी तरह घायल होने के बाद भी उन्हें घिसटते हुए खुद ही एम्बुलेंस तक पहुंचने और फिर अस्पताल में जिंदगी व मौत से जूझने का जीवट दिया। लेकिन जिंदगी और मौत की इस लड़ाई में यह युवा पिता गुरुवार सुबह दम तोड़ गया।

मृदुल की मौत से आहत भाई विनोद बख्शी ने कहा, “उसकी आंत क्षतिग्रस्त हो गई थी, मस्तिष्क पर भी गहरे जख्म थे.. इसके बावजूद वह खुद को घसीटते हुए एम्बुलेंस तक ले गया।”

मृदुल की मौत के बाद राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनके परिजनों के बीच मातम है। भाई विनोद परिजनों को सांत्वना देने की कोशिश करते हैं। लेकिन भाई की विधवा को सांत्वना देने के लिए उनके पास कोई शब्द नहीं हैं।

वह कहते हैं, “शादी के छह साल बाद ईश्वर ने उन्हें औलाद दी। मृदुल की जिंदगी में उसका बेटा ही सबकुछ था। अब तक रजनी मजबूत बनी हुई थी, लेकिन हम नहीं जानते कि अब उसके भीतर क्या चल रहा होगा।”

पति की मौत की खबर ने रजनी को खामोश कर दिया है। अस्पताल के प्रतीक्षालय में सभी मृदुल के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की बात कह रहे हैं। लेकिन वहीं एक कोने में खड़ी रजनी ने कुछ नहीं कहा।

विनोद ने बताया, “डॉक्टरों ने उसका (मृदुल का) चार बार ऑपरेशन किया, तीन बार उसके मस्तिष्क और एक बार पेट का। मृदुल की दृढ़ इच्छाशक्ति को देखते हुए उसके वेंटिलेटर पर होने के बावजूद आखिरी वक्त तक हमें उम्मीद थी।”

मृदुल एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में कार्यरत थे। बीते सात सितम्बर को वह भाई के बेटे के एक मामले की सुनवाई के सिलसिले में अदालत गए थे, लेकिन वह दिन उनके लिए दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुआ।

सरकार ने मृदुल के परिवार को वित्तीय सहायता दी है, लेकिन रजनी पूर्व में इसे ‘नाकाफी’ बता चुकी है।

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