नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील रिज क्षेत्र में निर्माण कार्य पर रोक लगाए जाने के कारण दो रक्षा एजेंसियों को राष्ट्रीय राजधानी के मध्य में आवसीय इमारतों का निर्माण रोकना पड़ा है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला की पीठ ने स्पष्ट किया कि किसी भी नए निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। पीठ ने कहा, “रिज इलाके में कोई भी नया निर्माण नहीं होना चाहिए।”

न्यायालय ने यह आदेश तब पारित किया, जब दिल्ली सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने रिज इलाके में निर्माण गतिविधियों के लिए कोई मंजूरी नहीं ली थी, जो कि इलाके के पर्यावरण के लिए खतरा है। 

सीकरी ने न केवल वन विभाग द्वारा खड़ी की गई आपत्तियों को नजरअंदाज करने के लिए दोनों एजेंसियों की खिचाई की, बल्कि रिज की रक्षा के लिए निर्धारित सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए भी।

न्यायालय ने एजेंसियों के इन तर्को को खारिज कर दिया कि फ्लैटों के निर्माण कार्य आगे बढ़ चुके हैं, इसलिए उन्हें निर्माण कार्य पूरे करने की अनुमति दी जाए।

पीठ, नारायणा गांव के निवासी ए.के. तंवर द्वारा 2005 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि डीआरडीओ और बीआरओ ने पश्चिमी दिल्ली में गांव के पास संरक्षित रिज इलाके में फ्लैट के निर्माण कार्य शुरू किए हैं।

पीठ ने गुरुवार को कहा, “हम यह जानकर चकित हैं कि रक्षा संगठनों ने न केवल सरकार की आपत्तियों को नजरअंदाज किया, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर निर्माण कार्य शुरू किया।”

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