नई दिल्ली ।। दीवाली के अवसर पर पटाखों के अंधाधुंध इस्तेमाल होने से लोगों के जलने के कई मामले हर साल सामने आते हैं। इसको देखते हुए चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने इससे बचने का सुझाव दिया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि दीवाली के दिन अस्पतालों में अनार, चर्खी और राकेट जैसे पटाखों से जलने के करीब 80 प्रतिशत मामले आते हैं।

सफरदजंग अस्पताल में बर्न, प्लास्टिक और मैक्सिलोफेसियल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर तथा परामर्शदाता आर. पी. नारायण ने आईएएनएस को बताया, “जलने के गम्भीर मामले नहीं आते हैं लेकिन इसे रोका जा सकता है। पटाखों के इस्तेमाल करते समय थोड़ी सावधानी बरतने से इससे बचा जा सकता है।”

दीवाली के एक सप्ताह पहले ही इस अस्पताल के 27 बेड वाले विभाग में जलने के मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाती है।

नारायण ने कहा, “अनार और चर्खी जैसे पटाखे खतरनाक होते हैं। लोग, खासतौर पर बच्चे जलाते समय पटाखे को हाथ में ही लिए रहते हैं। सावधानी के तौर पर बच्चों को खुली छूट नहीं देनी चाहिए।”

स्वास्थ्य मंत्रालय का नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन ऑफ बर्न (एनपीपीबी) दीवाली के समय जलने से बचने के लिए रोकथाम उपायों के साथ आगे आया है।

इस कार्यक्रम के तहत नेशनल एकेडमी ऑफ बर्न-इंडिया (एनएबीआई) ने जागरूकता फैलाने के लिए रंगबिरंगे पोस्टरों का वितरण किया है।

जलने के मामलों में सामान्य तौर पर त्वचा और आंख के घाव अधिक होते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक दीवाली के अवसर पर बढ़ती दुर्घटनाओं के पीछे शहरों में स्थानों का सिकुड़ना और पटाखों पर अधिक पैसा खर्च करना है, इसलिए पटाखों की बिक्री भी बढ़ती है।

गुड़गांव के एक अस्पताल के त्वचा विशेषज्ञ रोहित बत्रा ने आईएएनएस को बताया, “जलने के बाद सबसे पहले जले हुए घाव पर पानी डालना चाहिए। अगर आपका चेहरा या आंख जलती है तो ठंडे पानी का छींटा मारना चाहिए और उस व्यक्ति को तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल में ले जाना चाहिए।”

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here