रांची ।। झारखण्ड में 11 भाषाओं को राज्य में द्वितीय भाषा का दर्जा देने के लिए पारित किए गए विधेयक को झारखण्ड के राज्यपाल ने स्पष्टीकरण की मांग करते हुए इसे विधानसभा को वापस भेज दिया है। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी मंगलवार को दी।
सूत्र ने बताया कि इस विधेयक से नाराज भोजपूरी और मैथिली बोलने वाले लोगों द्वारा राज्यपाल सईद अहमद को सौंपे गए एक ज्ञापन के बाद स्पष्टीकरण की मांग की गई है।
मानसून सत्र में झारखण्ड विधानसभा ने इस विधेयक को पारित किया था। विधेयक में नौ जनजातीय भाषाओं के अलावा बांग्ला और उड़िया को राज्य में द्वितीय भाषा का दर्जा दिया गया था। इसके बाद विधेयक पर मंजूरी के लिए इसे राज्यपाल के पास भेजा गया।
राज्यपाल कार्यालय के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “राज्यपाल ने स्पष्टीकरण की मांग की है कि उड़िया और बांग्ला को किस आधार पर द्वितीय भाषा का दर्जा दिया गया है।”
राज्य सरकार के इस फैसले के कारण भोजपुरी और मैथिली बोलने वालों में कड़ी प्रतिक्रिया हुई। जिसके बाद उन्होंने इन भाषाओं को राज्य में द्वितीय भाषा का दर्जा दिए जाने के मानदंडों के बारे में जानकारी मांगी थी।