गिरिडीह (झारखण्ड) ।। हस्तियों के साथ प्रस्तुति देने वाले यहां के केड़िया बंधु मोरमुकुट व मनोज अपनी जीविका के लिए कपड़े की दुकान चलाते हैं।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतज्ञों उस्ताद अली अकबर खान व अन्नपूर्णा देवी के शिष्य मोरमुकुट व मनोज हर रोज यहां स्थित अपनी कपड़ों की दुकान पर बैठने के बीच रियाज के लिए समय निकालने के लिए जद्दोजहद करते हैं। सितार व सरोद पर जुगलबंदी के लिए दोनों भाइयों को जाना जाता है।
परिवार की सांस्कृतिक विरासत को आगे ले जाने के इच्छुक दोनों की उम्र 40 साल के आसपास है। वे ज्यादातर समय गिरिडीह के बारा चौक स्थित अपनी कपड़ों की दुकान पर बीताते हैं। दोनों को इस बात का अफसोस है कि असाधारण प्रतिभा का परिचय देने के बावजूद उनकी कोई मदद नहीं की गई। न केवल झारखण्ड सरकार बल्कि भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद (आईसीसीआर) का रवैया भी उनके प्रति जस का तस बना हुआ है।
छोटे मनोज ने आईएएनएस से कहा, “कपड़े कौन बेचना चाहता है। हमें रियाज के लिए मुश्किल से समय मिल पाता है। सुबह जल्दी उठने के बाद हम दो घंटे के लिए रियाज करते हैं और फिर रात में दुकान बंद करने के बाद और दो घंटे के लिए रियाज करते हैं। इस सब के बीच हम अपने परिवार को बिल्कुल भी समय नहीं दे पाते हैं।”
दोनों तबला वादक शम्भु दयाल केड़िया के बेटे हैं, जो सेनिया मैहर घराने से ताल्लुक रखते हैं। दोनों ने बहुत कम उम्र में ही सितार व सरोद वादन सीखना शुरू कर दिया था। उस वक्त मोरमुकुट की उम्र नौ साल व मनोज की उम्र सात साल थी। दोनों ने प्रजा नंदी, आचार्य राजा राम शुक्ल व अपने पिता से संगीत सीखा।
दोनों की प्रतिभा से प्रभावित होकर पद्म विभूषण उस्ताद अली अकबर खान ने 1975 में उन्हें अपना शिष्य स्वीकार किया था। उन्होंने मैहर के उस्ताद अलाउद्दीन खां साहब की बेटी अन्नपूर्णा देवी से भी तालीम ली थी। दोनों की अक्सर उस्ताद अली अकबर खान व सितार वादक पंडित रवि शंकर से तुलना की जाती है।
मोरमुकुट ने आईएएनएस को बताया कि वर्तमान में वे दिल्ली के सरोद वादक पंडित सुनील मुखर्जी से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं।