भोपाल ।। मध्य प्रदेश में जूनियर डाक्टरों की हड़ताल पांचवें दिन भी जारी रहने से मरीजों की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। सरकार ने भले ही निजी अस्पतालों में गम्भीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज कराने का फैसला किया है लेकिन अस्पताल पहुंच रहे लोगों को आवश्यक सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

राज्य के पांच चिकित्सा महाविद्यालयों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा व जबलपुर के जूनियर डाक्टर अपनी तीन सूत्री मांगों को लेकर सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर हैं। एक तरफ जहां सरकार इनकी मांगों को पहले ही पूरा किए जाने का हवाला दे रही है, तो वहीं दूसरी ओर जूनियर डाक्टर सरकार पर सिर्फ आश्वासन देने का आरोप लगा रहे हैं। 

राज्य सरकार ने जूनियर डाक्टरों पर लगाम कसने के लिए स्वास्थ्य सेवा को अत्यावश्यक सेवा घोषित करने के साथ ही इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं लेकिन सरकार की इस पहल का कुछ खास असर दिखाई नहीं दे रहा है। 

सरकार ने मरीजों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लिया है। बुखार सहित सामान्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों का चिकित्सा महाविद्यालयों के अस्पतालों में ठीक तरह से इलाज नहीं हो पा रहा है।

हड़लात खत्म कराने के लिए चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री महेंद्र हार्डिया व जूनियर डाक्टरों के प्रतिनिधियों के बीच गुरुवार को हुई वार्ता भी बेनतीजा रही थी। सरकार और जूनियर डाक्टर अपनी-अपनी जिद पर कायम हैं, लिहाजा हड़ताल जल्द खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे।

हडताल के पांचवें दिन तमाम चिकित्सा महाविद्यालयों के अस्पतालों में मरीजों आना तो जारी है मगर उन्हें पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रहा है। सरकार के निर्देश पर वरिष्ठ चिकित्सक सेवाएं तो दे रहे हैं, परंतु वे जूनियर डाक्टरों की कमी को पूरा नहीं कर पा रहे है। 

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here