ग्वालियर ।। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने जीवाजी विश्वविद्यालय में नियमों को दरकिनार कर कुलसचिव पद पर की गई आनंद मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर उन्हें और उनके भाई व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने मामले में चार सप्ताह में राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है।

गौरतलब कि आनंद मिश्रा को अप्रैल 2007 में जीवाजी विश्वविद्यालय का कुलसचिव बनाया गया था। आनंद मिश्रा इससे पहले प्रोफेसर थे। उनकी इस नियुक्ति पर सवाल उठे उसके बाद सुरजीत सिंह भदौरिया ने उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की। इस याचिका में कहा गया था कि तमाम नियमों को ताक पर रखकर आनंद मिश्रा को कुलसचिव बनाया गया है।

भदौरिया का कहना है कि कुलसचिव की नियुक्ति के लिए तय विश्वविद्यालय अधिनियम की अनदेखी की गई है। नियम के मुताबिक प्रशासनिक अनुभवधारी व्यक्ति को ही कुल सचिव बनाया जा सकता है, मगर आनंद मिश्रा को प्रशासनिक अनुभव नहीं है, वह महाविद्यालय में प्रोफेसर रहे हैं।

आरोप है कि मिश्रा की नियुक्ति राजनीतिक रसूख के चलते की गई है। मिश्रा के भाई नरोत्तम मिश्रा राज्य सरकार में मंत्री हैं।

भदौरिया की ओर से दायर याचिका पर मंगलवार को उच्च न्यायालय ने कुलसचिव, उनके भाई नरोत्तम, उच्चशिक्षा के प्रमुख सचिव और विश्वविद्यालय के कुलपति को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस का चार सप्ताह में जवाब देना है।

बताया गया है कि पूर्व में भी आनंद एक बार कुलसचिव रह चुके हैं, मगर दोबारा इसी पद पर उनकी नियुक्ति की गई है। कुलसचिव आनंद पर पूर्व में कई आरोप लगे थे, जिसके चलते वह चर्चाओं मे रहे हैं।

न्यायालय द्वारा जारी किए गए नोटिस पर आनंद ने बुधवार को आईएएनएस से कहा कि उन्हें अभी नोटिस नहीं मिला है।

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