भोपाल ।। मध्य प्रदेश में हड़ताली जूनियर डाक्टरों और सरकार के बीच टकराव बढ़ गया है। उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ द्वारा हड़ताल को अवैध करार दिए जाने के बाद सरकार का रवैया सख्त हो गया है, वहीं जूनियर डाक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे के अलावा गिरफ्तारियां देनी भी शुरू कर दी है। हड़ताल से मरीजों का हाल बुरा है। 

ज्ञात हो कि जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) तीन सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर हैं। ये चिकित्सक सुरक्षा कानून को अमल में लाने, कनिष्ठ चिकित्सकों को ग्रामीण इलाकों में भेजने की बाध्यता खत्म करने तथा छात्रवृत्ति राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

इस हड़ताल ने मरीजों की मुश्किलें तो बढ़ दी हैं। हड़ताल के दूसरे दिन सरकार ने राज्य में फैल रही बीमारियों का हवाला देकर उनकी सेवाओं को राज्य की जनता के लिए आवश्यक बताया।

मंगलवार की रात पुलिस बल ने भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज के छात्रावास में दबिश देकर कुछ चिकित्सा छात्रों को हिरासत में लिया तो जूडा का आक्रोश भड़क उठा और वे खुद सामूहिक गिरफ्तारी देने सामने आ गए। पुलिस ने उन्हें शांतिभंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इसके अलावा ग्वालियर के 200 जूनियर डाक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे दिए।

राज्य के छह मेडिकल कालेजों में से जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर के जूनियर डाक्टर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। उनका साथ देते हुए भोपाल व रीवा के जूनियर डाक्टरों ने भी मंगलवार से हड़ताल में शामिल हो गए। राज्य सरकार ने हड़ताली जूनियर डाक्टरों से सख्ती से निपटने का फैसला लिया है। 

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उच्च न्यायालय ने जूडा की हड़ताल को अवैध करार दिया है। हर तीन माह बाद मांगें मंगवाने के लिए हड़ताल पर जाना ठीक नहीं है। सरकार स्वास्थ्य सेवा को अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) को प्रभावी घोषित किए जाने के बाद इसे सख्ती से लागू करने में नहीं हिचकेगी। 

मिश्रा का कहना है कि सरकार को जूडा के साथ आम आदमी के हितों की भी चिंता है, जूनियर डाक्टर अगर काम पर नहीं लौटते हैं तो सरकार निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों की सेवाएं भी ले सकती है।

प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री महेंद्र हार्डिया ने जूडा की हड़ताल को औचित्यहीन करार दिया है। उनका कहना है कि अधिकांश मांगें पहले ही मानी जा चुकी हैं।

इंदौर के संभाग आयुक्त प्रभात पाराशर ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु रखने के लिए एस्मा लगा दिया है। उसके बाद भी हड़ताली जूनियर डाक्टर काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं, बल्कि एस्मा का विरोध कर रहे हैं। यहां एस्मा लागू होने के बाद जूडा के एक पदाधिकारी की गिरफ्तारी भी हुई है तथा जूडा के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं।

दूसरी ओर, जूडा का कहना है कि पिछले दिनों जब उन्होंने हड़ताल की थी तब सरकार ने उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिलाया गया था मगर उस पर अमल नहीं हुआ। आखिरकार उन्हें हड़ताल का रास्ता चुनना पड़ा। जूनियर डाक्टरों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।

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