हैदराबाद ।। सीबीआई ने शनिवार को भी आंध्र प्रदेश के सबसे अमीर और विवादास्पद सांसद वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के खिलाफ छापेमारी जारी रखी। सीबीआई के इस अभियान का आज चौथा दिन है। अब इस बात के संकेत बढ़ते जा रहे हैं कि जगनमोहन रेड्डी को जल्द ही गिरफ्तार किया जा सकता है।

सूत्रों से मिल रही खबर के अनुसार, रेड्डी की गिरफ्तारी से पहले उनसे और उनके साथियों, जो कंपनियों के प्रमुख और सरकारी अधिकारी हैं, से पूछताछ का जा सकती है।

जगनमोहन के पास कई हजार करोड़ रुपयों की संपत्ति है और पचास से भी अधिक कंपनियों में पूंजी निवेशित है। सीबीआई इन सभी मामलों को गंभीरता से ले रही है और जगन सहित कुल 73 लोगों पर आरोप लगाए गए हैं।

नब्बे पन्नों के एफआईआर में सीबीआई के इस आरोप ने खलबली मचा दी है कि जगन ने अपने दिवंगत पिता वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के साथ मिलकर साजिश की और सत्ता का दुरुपयोग कर सरकारी साधनों को लूटा। इस तरह से कमाए गए काले धन को जगन की कंपनियों में पूंजी निवेश कर सफेद बनाने की कोशिश की गई। इस एफआईआर में जगन को प्रमुख अभियुक्त बनाया गया है।

एफआईआर में कहा गया है कि छानबीन में जो तथ्य सामने आये हैं, उनसे यह स्पष्ट है कि जगन ने अपने पिता और अन्य लोगों के साथ मिलकर साजिश, धोखा, आपराधिक, विश्वासघात, हिसाब-किताब में उलटफेर और आपराधिक दूराचार जैसे आपराध किये हैं। आरोपियों की सूची में दूसरा नाम विजय साईं रेड्डी का है, जो पहले जगन की कंपनियों का ऑडिटर थे और बाद में उनकी कंपनी जगत पब्लिकेशन के उपाध्यक्ष बने।

एफआईआर में कहा गया है कि जगन और उनके पिता ने मिलकर उन कंपनियों को बड़े-बड़े ठेके दिए, सरकारी भूमि कौड़ियों के दाम में आवंटित की और कई दूसरे लाभ पहुंचाए। अब तक इस सारे विवाद में केवल जगमोहन रेड्डी का ही नाम आ रहा था, लेकिन अब एफआईआर के सार्वजनिक होने के बाद यह स्पष्ट है कि इस छानबीन का असली निशाना वाई.एस. राजशेखर रेड्डी होंगे, जो 2004 में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बने थे।

वाईएसआर मई 2009 में दोबारा सत्ता में आने के बाद एकबार फिर मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन इसके कुछ महीनों बाद ही उनकी एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

सीबीआई की विशेष अदालत में पेश की गई एफआईआर में जगन पर धोखाधड़ी करने, मुख्यमंत्री और अधिकारियों पर प्रभाव डालकर साजिश के तहत अवैध रूप से संपत्ति जुटाने सहित कई गंभीर आरोप लगाये गए हैं। मनी लॉन्डरिंग कानून के तहत उन पर यह भी आरोप लगाया गया है कि गलत तरीके से विदेशों से अपनी कंपनियों में पूंजी निवेश कराया।

एफआईआर में जगन और उन की 32 कंपनियों के अलावा राज्य के ऐसे कई बड़े उद्योगपतियों के नाम भी शामिल हैं, जिन्हें वाई.एस.आर. सरकार ने फायदा पहुंचाया था। इन उद्योगपतियों ने बाद में जगन की कंपनियों के शेयर काफी ऊंचे दामों पर खरीदे थे।

कुछ कंपनियों के शेयर तो 35 गुना अधिक कीमतों पर खरीदे गए। बाजार के जानकारों के अनुसार, उन शेयरों की कीमत उतनी अधिक हो ही नहीं सकती थी। जगन की जिन कंपनियों में दूसरों ने बढ़ा-चढ़ाकर पूंजी निवेश किया था, उनमें जगती पब्लिकेशंस, संदुर पॉवर, भारती सीमेंट, कैल रियल इस्टेट शामिल हैं।

इन सारे आंकड़ों के आधार पर ही कांग्रेस के एक मंत्री पी शंकर राव और तेलुगु देसम् के तीन नेताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका देते हुए आरोप लगाया था कि दूसरी कंपनियों ने पूंजी निवेश की आड़ में जगनमोहन रेड्डी और वाई.एस. राजशेखर रेड्डी को घूस दी थी। इन्हीं याचिकाओं की आधार पर हाई कोर्ट ने 10 अगस्त को सीबीआई को जगन के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने और छानबीन शुरू करने का आदेश दिया था।

अब ऐसा लगने लगा है कि यह आंध्र प्रदेश राज्य के इतिहास का सब से बड़ा घोटाला सिद्ध होगा, जिसमें भूमि आवंटन करने, खदानों, बंदरगाहों, स्पेशल इकोनॉमिक जोन स्थापित करने जैसी कई परियोजनाओं में एक मुख्यमंत्री ने अपने इकलौते पुत्र को कई हजार करोड़ रुपयों का फायदा पहुंचाया है।

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