डिब्रूगढ़ ।। सिक्किम के उत्तरी इलाके के इलायची किसान मौसम की मार के साथ भूकम्प का प्रकोप झेलने पर मजबूर हैं। मौसम में तीन साल पहले आए परिवर्तन ने राज्य में इलायची की खेती को नुकसान पहुंचाया। बाकी रही सही कसर पिछले महीने आए भूकम्प ने पूरी कर दी। अब इन किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।

प्रवेश थापा नाम के किसान ने बताया, “हमें नहीं मालूम कि हमें क्या करना है। तत्काल राहत के नाम पर हमें अभी भोजन मिल रहा है। लेकिन आने वाले समय में हमारी देखभाल कौन करेगा?”

थापा सिक्किम के उन इलायची किसानों में से एक थे जिनका पांच साल पहले तक जीवन आराम से व्यतीत होता था।

एक किसान की पत्नी रेगिना भूटिया ने आईएएनएस से फोन पर बताया, “लेकिन तीन साल पहले चीजें बदल गई। मौसम बदलने के कारण फसलें बरबाद हो गईं। यह सिलसिला चल रहा है।”

आजीविका के लिए लोगों ने छोटे-मोटे व्यवसाय की तरफ रुख किया।

एक गैर सरकारी संगठन ‘एक्शन एंड इंडिया’ के स्वप्न सिंघा ने गंगटोक से फोन पर बताया, “उत्तरी सिक्किम में बड़ी संख्या में बांध बन रहे हैं। उसमें से पांच तीस्ता नदी पर बन रहे हैं। बांध पर काम करने वाले अधिकतर श्रमिक प्रवासी हैं। दस फीसदी से कम ही लोग स्थानीय हैं।”

उन्होंने कहा, “बड़ी संख्या में प्रवासियों के होने के कारण स्थानीय लोगों ने ढाबे एवं दुकानें खोलने का निश्चय किया। भूकम्प आने से पहले तक उनका जीवन ठीक चल रहा था।”

सिक्किम में 18 सितम्बर को आए भूकम्प में 80 लोगों की मौत हुई थी। मृतकों में बांध पर काम कर रहे श्रमिक भी शामिल हैं। भय की वजह से प्रवासी श्रमिकों ने इलाके को छोड़ दिया है।

थापा ने कहा, “हमारा व्यवसाय पूरी तरह से प्रवासी लोगों पर निर्भर था। फिर हमारा भविष्य अनिश्चित हो गया है।”

सिंघा के अनुसार उत्तरी सिक्किम के कई इलाकों का अभी भी देश के अन्य भाग से सम्पर्क कटा हुआ है।

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