चेन्नई ।। तिरूनेलवेल्ली जिले में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना (केएनपीपी) स्थल पर शनिवर को विरोध-प्रदर्शन का तीसरा दिन है। परियोजना का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को काम करने के लिए संयंत्र के अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। इस बीच परिसर के भीतर अपने घरों में कैद लोगों को रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं भी नहीं मिल पा रही हैं।
प्रदर्शनकारियों ने संयंत्र में प्रवेश के सभी रास्तों को रोक रखा है। परियोजना क्षेत्र के अंदर रहने वाली एक गृहिणी ने बताया, “हम घरों के अंदर कैद हैं। बच्चों के लिए न तो पीने का पानी है और न ही दूध। हमारे यहां खाने-पीने का सामान खत्म हो गया है, सब्जियां नहीं हैं।”
कुडनकुलम में गुरुवार से ही कुछ महीने से लेकर स्कूल जाने की उम्र तक के बच्चे और बुजुर्गो सहित करीब 1,000 लोग अपने घरों के अंदर ही रहने को मजबूर हैं।
लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) लिमिटेड के ठेकेदारों के हजारों कर्मचारियों के परिवार बीते कई सालों से केएनपीपी परिसर में ही रह रहे हैं।
परिसर में 50 के करीब स्कूल जाने वाले बच्चे हैं लेकिन वे बीते तीन दिनों से अपनी कक्षाओं में नहीं पहुंच पा रहे हैं।
एल एंड टी कुडनकुलम में भारतीय परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के साथ अपने निर्माण अनुबंध के तहत यहां अपने कर्मचारियों से काम करा रही है।
एनपीसीआईएल रूसी प्रौद्योगिकी व उपकरणों के इस्तेमाल से कुडनकुलम में 1,000 मेगावाट क्षमता के दो परमामु ऊर्जा संयंत्र बना रहा है। पहले संयंत्र के दिसम्बर तक काम शुरू कर देने की उम्मीद है। इस परियोजना में कुल 13,000 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
बीते सात दिनों से 106 लोग क्रमिक अनशन कर रहे हैं। उनकी कुडनकुलम के नजदीक स्थित इदिनथाकाराई गांव से इस परमाणु ऊर्जा परियोजना को हटाए जाने की मांग है। करीब 1,500 ग्रामीण भी प्रदर्शनकारियों के साथ आ गए हैं और अनशन कर रहे हैं।
इस विरोध-प्रदर्शन के बीच परेशानियां झेल रहे लोग प्रदर्शनकारियों के डर की वजह से अपने नाम बताने को तैयार नहीं हैं।
एक अन्य महिला ने फोन पर आईएएनएस को बताया, “बीते तीन दिनों से बच्चे स्कूल नहीं गए हैं। हमें बाहर से पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है। हम अन्य कामों में इस्तेमाल होने वाले पानी को ही उबालकर पीने व खाना पकाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।”
एक अन्य निवासी ने बताया, “बाहर जाने पर प्रदर्शनकारी गेट पास ले लेते हैं और बिना गेट पास के वापस आना मुश्किल है।”
एलएंडटी के अधिकारियों का कहना है कि संयंत्र में काम करने वाले ज्यादातर उत्तर भारतीय मजदूर हैं, जो अब स्थानीय बाजार से भोजन पकाने के लिए केरोसीन न मिलने की वजह से वापस लौट रहे हैं।