नई दिल्ली ।। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने उत्तराखण्ड में सबला और इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजनाओं की स्थिति पर असंतोष व्यक्त किया है। राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल को लिखे पत्र में तीरथ ने कहा है कि केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने आठ और नौ जुलाई को देहरादून और हरिद्वार जिले का दौरा किया था और इन दोनों योजनाओं के मामले में कई कमियां पाई थीं।

ज्ञात हो कि केंद्रीय मंत्रालय ने इन योजनाओं के सम्बंध में अप्रैल में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को मार्गनिर्देश भेजे थे, लेकिन ये मार्गनिर्देश अभी क्षेत्रीय इकाइयों तक नहीं पहुंचे हैं।

तीरथ ने अपने पत्र में कहा है कि यह चिंता की बात है कि राज्य सरकार ने लाभार्थियों की पहचान करने के लिए दिसम्बर 2010 में सर्वेक्षण कराया था और केंद्रीय मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2010-11 और 2011-12 की पहली तिमाही के लिए राशि जारी कर दी थी, लेकिन पौष्टिक आहार सेवाएं और अन्य सेवाएं अभी शुरू नहीं की गई हैं।

अपने पत्र में मंत्री ने कहा है कि समन्वित बाल विकास योजना के लिए कर्मचारियों की कमी है और 1124 में से 518 स्थान खाली हैं। इसके अलावा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के भी लगभग 8000 पद रिक्त हैं। सम्भवत: इस कारण से समन्वित बाल विकास योजना और सबला तथा इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजनाओं का काम प्रभावित हो रहा है।

तीरथ ने कहा है कि क्षेत्रीय कर्मचारियों को राज्य सरकार की ओर से उचित मार्गनिर्देश नहीं दिए गए हैं, इससे राज्य में सबला और इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजनाओं को लागू करने के काम में समस्याएं पैदा हो रही हैं।

तीरथ ने राज्य सरकार से कहा है कि वह इस सम्बंध में 30 सितम्बर तक अपनी कार्य योजना भेजे।

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