चेन्नई ।। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास (आईआईटीएम) से परास्नातक अजित नारायण अमेरिका से उद्यमी बनने के लिए वापस लौटे। उन्होंने विभिन्न बीमारियों के कारण बोलने में असमर्थ बच्चों के लिए ‘स्पीक सिंथेसाइजर’ का निर्माण किया।

अजित को इस आविष्कार के कारण अमेरिका के मैसाच्युसेट्स तकनीकी संस्थान [एमआईटी़] ने विश्व के 35 युवा आविष्कारकों में शामिल किया है। इन्वेंशन लैब्स इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अजित, 30 को एमआईटी की ‘टेक्नोलॉजी रिव्यु’ पत्रिका द्वारा नामित किया गया है।

उनके अविष्कार का नाम आवाज है, जो टेबलेट की तरह संचार यंत्र है।

अजित ने आईएएनएस से साक्षात्कार में कहा, “यह प्रतिष्ठित पुरस्कार है और मैं बहुत खुश हूं।” आईआईटी-एम से 2003 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से परास्नातक करने के बाद अजित अमेरिका चले गए।

अजित ने बताया, “मैं 2007 में उद्यमी बनने के लिए वापस आया। आईआईटी के कुछ प्रोफेसर कमजोर एवं अपाहिज बच्चों के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए उत्पाद बनाने के लिए कहा।” तब मैं किफायती स्पीच सिंथेसाइजर विकसित करने का फैसला किया।

आवाज की कीमत 30,000 रुपये [650 डालर] के करीब है, जबकि ऐसे ही अमेरिकी उत्पाद की कीमत 50,000 रुपये [10,800 डालर] है। ऐसे बच्चों की आवश्यकताओं को समझने के लिए अजित ने शिक्षकों एवं अभिभावकों से मुलाकात की।

अजित ने बताया कि भारत में करीब चालीस लाख लोग मष्तिष्क पक्षाघात एवं अन्य प्रकार की अयोग्यताओं से ग्रस्त हैं, जिसकी वजह से वे बोलने में असमर्थ हैं। उन्होंने बताया कि इस उत्पाद को विकसित करने में कुल चालीस लाख का खर्च आया, जिसमें दस लाख भारत सरकार ने दिए थे।

इस उत्पाद के विपणन के बारे में पूछने पर नारायणन ने कहा, “हमने विशेष बच्चों के लिए चलाए जा रहे विद्यालयों को लक्षित किया। अध्यापकों से सुनकर अभिभावकों ने इसे खरीदा।”

अजित ने कहा कि अपने बच्चे को पहली बार बोलते देखकर कई अभिभावक रोने लगे। इस समय अजित इस स्पीच सिंथेसाइजर में सुधार लाने के लिए बेंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में शोध कर रहे हैं।

2010 से अब तक 100 उत्पाद बिक चुके हैं।

अजित ने कहा, “अगर केंद्र सरकार इस पर दस हजार का अनुदान दे, तो इसकी बिक्री बढ़ जाएगी।”

 

 

 

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