BJP

क्या आप जानते हैं भारत की सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी की स्थापना कब हुई? बीजेपी ने अबतक कितने चुनावों में हिस्सा लिया है? बीजेपी के अब तक कौन-कौन अध्यक्ष बने हैं? बीजेपी से जुड़े तमाम बातों का जानने के लिए इसे पूरा पढ़ें।

बीजेपी की स्थापना कब हुई?

भारतीय जनता पार्टी या बीजेपी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को किया गया था। भारतीय जनता पार्टी का गठन जनता पार्टी से राष्ट्रवादी विचार के लोगों ने अलग होकर किया था।
भारतीय जनता पार्टी भारतीय जनसंघ के विचारों को आगे ले जाने के लिये आगे आयी थी। वर्ष 1977 मे जयप्रकाश के कहने पर भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय कर दिया गया था।

भारतीय जनसंघ क्या थी?

भारतीय जनसंघ राष्ट्रवादी विचारों पर चलने वाली एक राजनीतिक पार्टी थी। इसकी स्थापना 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में की गयी थी।
इसकी स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था। 1952 के आम चुनाव में इस पार्टी ने देश भर में 2 सीटों पर विजय प्राप्त की थी।
इस पार्टी का चुनाव चिन्ह जलता दिपक था। 1977 में इस पार्टी का जनता पार्टी में विलय हो गया इस पार्टी को भाजपा का पूराना स्वरूप माना जाता है।

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भारतीय जनता पार्टी के विचार।

भारतीय जनता पार्टी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार पर काम करती है। भाजपा दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर चलती है।
दीनदयाल उपाध्याय ने वर्ष 1966-1967 में एकात्म मानववाद की अपनी एक नयी विचाराधारा दी थी। भारतीय जनता पार्टी को RSS का राजनीतिक संगठन भी माना जाता है।
भारतीय जनता पार्टी अखंड भारत और भारत के पुरातन अतित के आधार पर काम करती है।

भारतीय जनता पार्टी के अबतक के अध्यक्ष

भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष अटल विहारी वाजपेयी थे। अब तक भारतीय जनता पार्टी के कुल 13 अध्यक्षों का कार्यकाल हो चुका है।
लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, बंगारू लक्ष्मण, राजनाथ सिंह, जेना कृष्णमुर्ति, वेंकैया नायडू, नीतिन गडकरी और अमीत शाह पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं।
बीजेपी में अध्यक्ष का कार्यकाल लगभग 3 वर्ष का होता है। अध्यक्ष का चुनाव चुनावी प्रक्रिया से की जाती है। अधिकांस बार हलांकि चुनाव में निर्विरोध ही अध्यक्ष का चुनाव हो गया है।

बीजेपी का चुनावों में प्रदर्शन

अपने स्थापना के बाद पहले चुनाव 1984 में भारतीय जनता पार्टी ने देश भर में मात्र 2 सीटों पर चुनाव जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में बीजेपी के तमाम बड़े नेता चुनाव हार गये थे। बीजेपी को आंध्रप्रदेश और गुजरात में दो सीटों पर जीत प्राप्त हुई थी।

1989 का आम चुनाव– 1989 के आम चुनाव में बीजेपी ने शानदार वापसी की थी बीजेपी ने देश भर में अपनी जीत दर्ज की थी और पार्टी ने मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता में देश भर में कुल 86 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी।

1991 का आम चुनाव- 1991 के आम चुनाव आते-आते बीजेपी अपने रंग में आ चुकी थी। इस चुनाव में बीजेपी को कुल 119 सीटों पर जीत प्राप्त हुई थी। पार्टी ने विपक्ष ने बैठने का फैसला लिया था।

1996 का आम चुनाव- 1996 के आम चुनाव में बीजेपी ने 161 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। पार्टी ने सरकार बनाने का दावा भी पेश किया था। लेकिन सरकार सदन में बहुमत प्राप्त करने में असफल रही थी।

1998 का आम चुनाव- 1998 के आम चुनाव में पार्टी ने 182 सीट जीत दर्ज किया था। पार्टी ने अपने नेतृत्व में एक गठबंधन का निर्माण किया जो अबतक चल रही है। बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन ने सरकार का निर्माण किया लेकिन सरकार 13 माह में ही अल्पमत में आ गयी, देश को फिर से आम चुनाव में जाना पड़ा।

1999 का आम चुनाव- 1999 या 2000 के आम चुनाव में फिर पार्टी अपने गठबंधन के साथ बहुमत में आ गयी। पार्टी ने 182 सीट पर जीत दर्ज किया अटल विहारी वाजपेयी फिर से प्रधानमंत्री बने।

2004 का आम चुनाव- 2004 के आम चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा पार्टी को पहली बार अपने इतिहास में बढ़ते हुए ग्राफ से नीचे आना पड़ा पार्टी को 138 सीट आम चुनाव में मिले थे।

2009 का आम चुनाव- 2009 का चुनाव पार्टी ने आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा था, पार्टी को देश भर में आशा के विपरित परिणाम देखने को मिले थे। पार्टी मात्र 117 सीटों पर रुक गयी थी। पार्टी की हालत काफी कमजोर हो गयी थी।

2014 का आम चुनाव- 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने शानदार वापसी की। इस चुनाव में पार्टी को अपने दम पर पुर्ण बहुमत प्राप्त हुआ पार्टी ने 283 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए इतिहास बनाया। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने।

बीजेपी के साथ विवाद

  1. बीजेपी अपने हिंदुत्व के एजेंडे के कारण हमेशा विवादों में रही है। पार्टी को सबसे बड़े विवाद का सामना 1992 में 6 दिंसंबर को अयोध्या में मस्जिद तोड़ने की हुई घटना के बाद करना पड़ा। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता को इस मामले में आरोपी बनाया गया। इस मामले की जांच अभी भी चल रही है। हलांकि बीजेपी ने इस मामले की जमकर राजनीतिक फायदे भी उठाएं।
  2. गुजरात दंगा के बाद भी पार्टी को विवादों का सामना करना पड़ा था।
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