नई दिल्ली ।। फिल्मकार संजय लीला भंसाली कहते हैं कि फिल्म निर्माण की बॉलिवुड शैली बरकरार रहनी चाहिए। उनका कहना है कि यथार्थवादी सिनेमा की नई लहर में बॉलिवुड की नाटकीयता बनी रहनी चाहिए। भंसाली ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘देवदास’ और ‘सांवरिया’ जैसी सफलतम फिल्में बना चुके हैं।

भंसाली ने कहा, “मुझे लगता है कि इस समय हर फिल्मकार अच्छी मनोदशा में है। फिल्मोद्योग में एक नई लहर उठी है लेकिन मैं सिर्फ इतनी उम्मीद करता हूं कि इस नई लहर में हम बॉलिवुड की पहचान बनी नाटकीयता, नाच-गाने की परम्परा, साहित्य और अन्य खूबियों को न खो दें।”

शुरुआत में भंसाली ने परम्परागत विषयों के इर्द-गिर्द ही अपनी फिल्में बनाई हैं। उनकी फिल्मों के सेट्स बहुत महंगे होते हैं। उन्होंने ‘हम दिल दे चुके सनम’ और ‘देवदास’ जैसी फिल्मों में शास्त्रीय और लोक संगीत का इस्तेमाल किया।

उन्होंने ‘सांवरिया’, ‘ब्लैक’ और ‘गुजारिश’ जैसी गैर-परम्परागत फिल्में भी बनाई हैं। भंसाली कहते हैं कि वह नहीं चाहते कि हिंदी फिल्मोद्योग से देसीपन गायब हो। उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्में संगीत, नृत्य और गीतों के लिए ही दुनियाभर में मशहूर हैं।

उन्होंने कहा, “हम बिना गीतों वाली, प्रयोगधर्मी फिल्में और यथार्थवादी फिल्में भी बनाएं लेकिन हमारे पास ऐसे फिल्मकार भी होने चाहिए जो ‘देवदास’ जैसी संगीतप्रधान फिल्में भी बना सकें, जिनमें पश्चिम के दर्शकों की रुचि होती है। जरूरी है कि युवा फिल्मकार भव्यता के साथ किसी गीत की शूटिंग कर सकें लेकिन मुझे अब तक ऐसा कोई युवा फिल्मकार नहीं दिखा।”

एक निर्माता के तौर पर भंसाली ने ‘माई फ्रेंड पिंटो’, ‘रॉडी राठौर’ और ‘शिरिन फरहद की निकल पड़ी’ जैसी फिल्मों का निर्माण किया लेकिन वह फिर अपनी पसंदीदा नाच-गाना शैली की ओर लौटना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं नाच-गाने से भरपूर नाटकीय फिल्म बनाने के लिए बेकरार हूं। यह ‘हम दिल दे चुके सनम’ जैसी फिल्म होगी। मैं पटकथा को अंतिम रूप दे रहा हूं। कुछ समय बाद मैं इस पर काम शुरू कर दूंगा।”

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