नई दिल्ली ।। केंद्र सरकार ने बुधवार को एक ओर कहा कि पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि करना या न करना सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कम्पनियों पर है, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने इस मुद्दे पर अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह की एक बैठक करने की जरूरत बताई।

तेल सचिव जी.सी. चतुर्वेदी ने संवाददाताओं से कहा, “यह फैसला उन्हें लेना है। उन्हें इसका अधिकार दिया गया है और वे सही समय पर इसका फैसला कर सकती हैं।”

पेट्रोल की कीमत पर से नियंत्रण समाप्त कर दिया गया है, लेकिन डीजल, रसोई गैस और मिट्टी के तेल की कीमतों की वृद्धि के लिए कम्पनियों को अभी सरकार से मंजूरी लेनी होती है।

पेट्रोलियम मंत्री ने हालांकि यह माना कि पिछले दिनों पेट्रोल की कीमत पांच रुपये प्रति लीटर बढ़ाने के बाद और वृद्धि उचित नहीं है इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें नियंत्रित पेट्रोलियम उत्पादों पर जल्द ही एक बैठक की उम्मीद है।

रेड्डी ने कहा, “मैंने मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की एक बैठक करने के लिए कहा है। यह बैठक संसद के शीतकालीन सत्र के शुरू होने के पहले होगी।”

मंत्रियों के इस समूह की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी करते हैं।

मंत्री ने कहा कि तेल विक्रेता कम्पनियों की पूंजी का मूल्यांकन अधिक बढ़ा-चढ़ाकर नहीं किया जाना चाहिए। इस कारोबारी साल में बाजार दर से कम कीमत पर पेट्रोलियम उत्पाद बेचने के कारण उनका नुकसान 1,30,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि तेल कम्पनियों को जल्दी ही विदेशी बैंकों से तो दूर भारतीय बैंकों से भी ऋण मिलना कठिन हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों एक तेल विक्रेता कम्पनी ने कच्चे तेल की कीमत अधिक होने और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुपये की कीमत गिरने के कारण पेट्रोल की कीमत बढ़ाने पर विचार करने की बात कही थी।

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के वित्त निदेशक बी. मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा, “अभी हमें प्रति लीटर पेट्रोल पर 1.50 रुपये का नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई के लिए पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 1.82 रुपये बढ़ाई जानी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि इस विषय पर दूसरी तेल कम्पनियों से बातचीत चल रही है।

उनके मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 108 रुपये प्रति बैरल के आस पास चल रही है, जबकि रुपये की कीमत तीन माह पहले 46.50 रुपये प्रति डॉलर से घटकर 49 रुपये प्रति डॉलर पर आ गई है। इसके कारण आयात पर खर्च बढ़ गया है।

एचपीसीएल को मंगलवार को 3,364 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ। देश में आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की कीमत 1-16 अक्टूबर को 103.63 डॉलर प्रति बैरल चल रही थी, जो अब बढ़कर 108.73 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।

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