Hindi7.com ।। अगर भाषा के प्रति अपकी रुचि है, तथा आप भाषा के विकसित स्वरुप से परिचित हैं, साथ हीं आप अपना भविष्य भी संवारना चाहते हैं तो आपके लिए यह क्षेत्र हमेशा खुला रहने वाला है। इसे भाषा-विज्ञान और  लिंगुस्टिक के नाम से भी जाना जाता हैं, यह  मूल रुप से भाषाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है, जो सभी भाषाओं की विशिष्टताओं पर केन्द्रित  है।  इसमें हर भाषाओं की ध्वनियों, शब्दों, व्याकरणों तथा भाषाई सम्बंधो जैसी विशेषताएं शामिल है। ये संचार के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू का भी विश्लेषण कर सकता है। ये एकमात्र ऐसा विज्ञान है जो भाषा पर केन्द्रित हैं। इसमें जैविक, मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय आयाम होते हैं, जिन की आवश्यकता हमें दैनिक जीवन में पड़ती है।

भाषाविज्ञान और उसकी धारणाएं

इस ज्ञान की विभिन्न धारणाएं हैं। ये धारणाएं  जिन्हें अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान  की संज्ञा दी जाती है, जो अपने क्षेत्रों में अहम भूमिका रखती है। मनो-भाषाविज्ञान, जैविक भाषाविज्ञान, सामाजिक भाषाविज्ञान, जातीय भाषा विज्ञान आदि ऐसी ही कुछ धारणाएं हैं।

जैविक- भाषाविज्ञान अपने आप में बोल-चाल के संरचनात्मक, शारीरिक और स्नायविक आधारभूत ढांचे का अध्ययन है। इसके आलावा शीरा-भाषाविज्ञान मानव मस्तिष्क तन्त्र और उसमें निमित ज्ञान से सम्बन्धित है, चाहे वह लिखित हो या मौखिक या इशारों द्वारा। ये क्षेत्र भाषा विज्ञान, न्योरोलॉजी तथा कम्पयूटरीकृत  विज्ञान में साफ अन्तर दर्शाता है, और मानसिक रूप मन्द व्यक्तियों के लिए स्पीच थैरेपी में भी मदद करता है। जातीय भाषाविज्ञान आपकी परम्पराओं पर आधरित होता है जैसे किसी का अभिवादन करना, शपथ ग्रहण करना, शिशुओं का नामकरण करना आदि। इसी प्रकार से सामाजिक-भाषाविज्ञान या भाषा नेटवर्क का समाजशास्त्र भाषा लक्ष्यों के बीच भिन्नताओं, सामाजिक भूमिकाओं एंव विभिन्न समाजिक प्रक्रियाओं में भाषा की भूमिका से जुड़ा होता है। छोटे समूह संपर्कों, अनुरूपों व पदानुक्रमों के भाषाविज्ञान पहलू भाषा के प्रयोग के समाजशास्त्र में समाहित होते हैं।

भाषा-विज्ञान का क्रियात्मक उपयोग ज्ञान की निम्नलिखित शाखाओं में देखा जा सकता है।

  •  व्याकरण
  •  अनुवाद
  •  अन्य भाषा का ज्ञान
  •  कोशरचना (डिक्शनरी)
  • कम्प्यूटरकृत मशीनी अनुवाद और स्वाचालित भाषण मान्यता एक ऐसा क्षेत्र है जो 20 वीं सदी से लागू भाषा विज्ञान के लिए उपयोगी साबित हुआ है।

भाषाविज्ञान का विषय क्षेत्र

भाषाविज्ञान का विषय-क्षेत्र सिर्फ अध्यापन या अध्ययन का दायरा नहीं है। इसकी दुनिया एक आम आदमी की कल्पना से कहीं अधिक विस्तृत है। ये एकमात्र शिक्षण बहुआयामी करियर के अवसर प्रदान करता है। राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय दूभाषीये की महिमा, शब्दकोश  निर्माण का गर्व, आर्कषक प्रयत्न,ऐतिहासिक रहस्य, गूंगों व बहरों के लिए कृत्रिम भाषा के विकास का कार्य आदि तमाम बातें इससे जुड़ी हैं।

भाषाविज्ञान के विषय-क्षेत्र को सम्बन्धित क्षेत्रों के आधार पर निम्नलिखित तरीके से आंका जा सकता है। भाषा का क्षेत्र जितना बड़ा है, करियर का क्षेत्र भी उतना ही बड़ा है। हम आपको कुछ संबंधित रास्ते बता रहे हैं जिसमें से किसी एक को चुन कर आप अपने करियर को एक आधार दे सकते हैं।

1. भाषा

विदेशी भाषा शिक्षण – यह विदेशी भाषा सीखने वालों को अपनी सेवा देने का अवसर देता है। सेवा के बदले आपको जो पारिश्रमिक मिलता है, वहीं आपकी आय है। आप चाहें तो किसी संस्थान में जाकर पढाएं या अपना स्वयं का संस्थान स्थापित कर सकते हैं।अनुवाद व्याख्या – वैश्विकरण के दौर में घर बैठे-बैठे आप अनुवाद का काम कर सकते है। अनुवादक के तौर पर आप किसी सरकारी, गैर-सरकारी संस्थान में स्थायी पद पर भी कार्य कर सकते हैं।प्रतिलेखन

2. शिक्षा और प्रशिक्षण

 भाषा नीति डिजाइनपाठ्य पुस्तक डिजाइनग्रन्थकारिता

 3. मीडिया

प्रिंट और ऑनलाइन पत्रकारिता प्रतिलिपी लेखन और सम्पादन

4. आडियोलॉजी

भाषा विकृति विज्ञानभाषण चिकित्सा भाषण शिक्षाकृतिम भाषण उत्पादन

5. यात्रा और प्रयत्न उद्योग

विदेशी भाषा के ज्ञान के साथ आप यात्रा पर आने और जाने वालों की सहयता कर के पैसे कमा सकते है। इसे गाइड का काम कहा जा सकता है।

6. पुस्तकालय

 जानकारी प्रबंधक  मीडिया और प्रलेखन विशेषज्ञों

भारत में इस क्षेत्र से जुड़े कुछ पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जैसे: भाषाविज्ञान में ग्रेजुएशन, मास्टर और पी.एच.डी. कोर्स आदि। ये पाठ्यक्रम कुछ प्रमुख संस्थाओं में उपलब्ध  हैं, जैसे :

1.    सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंग्लिश एण्ड फोरन लैंगवेज, हैदराबाद
2.    जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
3.    अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, अन्नामलाई नगर

आप कभी किसी दबाव में आकर अपने करियर का चुनाव करें, सफलता प्राप्ति के लिए आपका मन और ध्यान का केन्द्रीत होना जरुरी है। भाषा के क्षेत्र में बहुत अवसर हैं बस आपके लगन और मेहनत पर सब कुछ टिका है।

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