नई दिल्ली ।। भारतीय फैशन उद्योग की अग्रणी डिजाइनर ऋतु कुमार कहती हैं कि फैशन की दुनिया बाहर से बहुत खूबसूरत नजर आती है लेकिन वास्तविकता में यह एक बहुत कठिन करियर है। ऋतु ने फैशन की दुनिया में अपनी अलग जगह बनाने में सफलता हासिल की है।

ऋतु ने 40 साल पहले अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, “भारतीय फैशन उद्योग तेजी से विकास कर रहा है। अब इसे मुख्यधारा के मीडिया से भी समर्थन मिल रहा है। इसके कारोबार में तेजी से वृद्धि हुई है लेकिन मीडिया में जो लिखा जा रहा है और जो वास्तविकता है उसमें फर्क है। यह बहुत परिश्रम वाला कठिन व उतार-चढ़ाव वाला करियर है। वैसे फैशन बहुत खूबसूरत नजर आता है।”

ऋतु देश के उन चुनिंदा अग्रणी डिजाइनरों में से एक हैं जिन्होंने जरदोजी, आरी, गोटा और पत्ती वर्क के प्राचीन भारतीय शिल्प को आधुनिक चेहरा दिया है। वह न केवल अपने डिजाइंस में इनका इस्तेमाल करती हैं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनका प्रचार भी करती हैं।

भारतीय संस्कृति को आधुनिक रूप में दर्शाते अपने वस्त्र संग्रहों के लिए मशहूर ऋतु कहती हैं कि भारतीय कपड़ा व भारतीय कढ़ाई उनके ब्रांड का मुख्य गुण है।

उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि फैशन की दुनिया में भारतीय कला व शिल्प की स्थिति दिनोंदिन बेहतर होती जा रही है। फैशन समारोह पूरी तरह से शिल्प से सम्बद्ध होते हैं और ये हमारी विरासत को जीवित रखते हैं।”

उन्होंने कहा कि पहले चलन में रहे चंदेरी, खादी, हेंडलूम व कार्बनिक सूती कपड़े एक बार फिर फैशन में हैं। अब इनका इस्तेमाल और भी बढ़ा है।

ऋतु ने 40 साल पहले कोलकाता के नजदीक एक छोटे से गांव से चार हैंड-ब्लॉक प्रिंटर्स और दो मेजों के साथ अपनी फैशन उद्योग की यात्रा शुरू की थी। अब वह न केवल फैशन को परिभाषित करती हैं बल्कि अपने ब्रांड ‘ऋतु कुमार’ के साथ भारत में बुटीक संस्कृति की शुरुआत करने वाली पहली महिला भी बन गई हैं।

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