maharaja ranjeet singh

संयुक्त पंजाब के पहले सिख प्रशासक महाराजा रंजीत सिंह का पोर्ट्रेट अब पेशावर मे स्थित बाला हिसार फोर्ट की आर्ट गैलरी में लगेगा। स्थानीय सिख समुदाय काफी समय से इसकी मांग कर रहा था। खैबर-पख्तूनख्वा राज्य के प्रशासन ने सिख प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद पोर्ट्रेट लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। ये फैसला मेजर जनरल राहत नसीम, इंस्पेक्टर जनरल फ्रंटियर कॉर्प्स, नॉर्थ रीजन ने किया।

सिख समुदाय ने फैसले पर खुशी व्यक्त की

राहत नसीम ने सिखों को बाला हिसार फोर्ट में महाराजा रंजीत सिंह का जन्मदिन मनाने की अनुमति भी प्रदान कर दी। सिख समुदाय ने इस फैसले पर खुशी व्यक्त की। उनका जन्मदिन और बरसी मनाने के लिए हर साल पूरी दुनिया से सिख पाकिस्तान आते हैं।

महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के राजा थे। वे शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध हैं। महाराजा रणजीत एक ऐसी व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं भटकने दिया।

महाराजा रणजीत सिंह ने 19वीं सदी की शुरुआत में कई दशकों तक पूरे पंजाब पर राज किया और अफगानों को खदेड़ा। अफगानों से कई लड़ाइयों के बाद वे सिर्फ 21 साल की उम्र में ही पंजाब के महाराजा बन गए थे।

बेशकीमती हीरा कोहिनूर महाराजा रणजीत सिंह के खजाने की रौनक था। सन 1839 में महाराजा रणजीत का निधन हो गया। उनकी समाधि लाहौर में बनवाई गई, जो आज भी वहां कायम है। उनकी मौत के साथ ही अंग्रेजों का पंजाब पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। अंग्रेज-सिख युद्ध के बाद 30 मार्च 1849 में पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया गया और कोहिनूर महारानी विक्टोरिया के हुजूर में पेश कर दिया गया।

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