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नई दिल्ली ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि बुनियादी रूप से मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर निराश होने की आवश्यकता नहीं है। अर्थव्यवस्था में मौजूदा धीमापन मात्र अल्पकालिक प्रक्रिया है, जो पश्चिमी दुनिया में जारी संकट के कारण है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मौजूदा आर्थिक धीमापन चिंता का विषय है। लेकिन इसे एक अल्पकालिक प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में उच्च दर्जे की अस्थिरता को जाहिर कर रही है। सभी देशों में वृद्धि दर नीचे की ओर जा रही है।”

राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की 56वीं बैठक में प्रधानमंत्री ने यहां कहा, “हमें नकारात्मक सोच से बचना चाहिए, जो लगता है कि पूरे देश में व्याप्त कर गई है। “

प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हर स्तर पर कुछ ठोस उपाय कर दिए जाएं तो अगले पांच वर्षो में नौ प्रतिशत विकास दर, यद्यपि कठिन तो है लेकिन उसे हासिल किया जा सकता है।

सिंह ने कहा, “मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश की दीर्घकालिक सम्भावनाएं बहुत अच्छी हैं।”

मौजूदा वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मंद है और महंगाई उच्चस्तर पर बनी हुई है।

प्रधानमंत्री ने हालांकि कहा कि स्थिति उतनी खराब नहीं है, जितनी लगती है।

प्रधानमंत्री ने जॉन मेनार्ड कीन्स की पुस्तक ‘द जनरल थ्योरी ऑफ एम्प्लॉयमेंट, इंटरेस्ट ऑफ मनी’ से उद्धरण देते हुए कहा, “अंततोगत्वा निवेश उद्यम की पशुवत भावनाओं का एक प्रत्यक्षीकरण है।”

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, कुछ प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया।

बैठक में 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-13 से 2016-17) के दृष्टिकोण पर चर्चा की गई।

प्रधानमंत्री ने कहा, “20 वर्ष पहले वित्त मंत्री के रूप में अपने पहले बजट भाषण में मैंने विक्टर ह्यूगो की पुस्तक से एक उद्धरण पेश किया था। मैंने कहा था: ‘जिस विचार का समय आ गया है, उसे धरती की कोई ताकत नहीं रोक सकती।’ मैंने आगे कहा था ‘दुनिया में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में भारत का उभरना एक ऐसा ही विचार होगा’।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सोच पूरे राजनीतिक क्षेत्र में फैल गई। सिंह ने कहा, “मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि पिछले दो दशकों में विभिन्न राजनीतिक दलों ने भिन्न-भिन्न कालखंडों में, अलग-अलग राज्यों में और केंद्र में शासन किया और उन सभी ने इसी दिशा में काम कर यह साबित कर दिया कि मेरी भविष्यवाणी अब व्यापक रूप से स्वीकार्य सच्चाई है।”

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