वाशिंगटन ।। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा है कि तालिबान हमारे दुश्मन नहीं हैं। बिडेन की इस टिप्पणी ने रिपब्लिकन पार्टी को नया मुद्दा दे दिया है। लेकिन व्हाइट हाउस ने बिडेन का बचाव किया है। न्यूजवीक/डेली बेस्ट के साथ साक्षात्कार में बिडेन ने बताया कि पाकिस्तान किस तरह तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान का साथ निभा पाने में समर्थ हुआ।
उन्होंने कहा कि यदि तालिबान ने अलकायदा का समर्थन बंद कर दिया होता तो अमेरिका भी ऐसा कर सकता था।
सुलह प्रक्रिया की ओर लौटते हुए बिडेन ने कहा, “हम ऐसी जगह पर पहुंच जाएं, जहां अफगानिस्तान उन लोगों की पनाह स्थली बनने से खुद को रोक पाए, जोकि अमेरिका और उसके सहयोगियों को नुकसान पहुंचाते हैं और निशाना बनाते हैं तो इतना पर्याप्त रूप से अच्छा होगा। लेकिन हम अभी वहां नहीं पहुंच पाए हैं। देखिए, तालिबान अपनेआप में हमारे दुश्मन नहीं हैं।”
बिडेन ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने हमारी नीतिगत घोषणाओं में कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, जिसमें उन्होंने कहा हो कि तालिबान हमारे शत्रु हैं, क्योंकि वे अमेरिकी हितों के लिए खतरा हैं।”
बिडेन ने कहा, “वास्तव में यदि तालिबान मौजूदा सरकार को गिराने में सक्षम हो जाता है, जो कि हमें नुकसान पहुंचाने वाले बुरे लोगों को रोकने में हमारे साथ सहयोग कर रही है, तब वह हमारे लिए एक समस्या बन जाएगा।”
व्हाइट हाउस ने सोमवार को बिडेन का यह कहते हुए बचाव किया था कि यह तभी खेदजनक है, जब संदर्भ से बाहर बात की जाए।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्ने ने कहा, “यह एक सामान्य बात है कि हम अफगानिस्तान में इसलिए गए, क्योंकि अमेरिका पर 11 सितम्बर, 2001 को हमला हुआ। हम वहां अंततोगत्वा अलकायदा को पराजित करने, अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के लिए हैं, ताकि अलकायदा या अन्य आतंकवादी उस देश में दोबारा अपनी जड़ें न जमा सकें।”
कार्ने ने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में इसलिए सेना नहीं भेजी थी कि वहां तालिबान की सत्ता थी, और उपराष्ट्रपति बिडेन का कहना यह था कि “हम उनसे लड़ रहे हैं, इसका अर्थ यह नहीं कि उनका खात्मा करना है, तालिबान का खात्मा यहां मुद्दा नहीं है।”
लेकिन राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोम्नी ने कहा कि बिडेन की टिप्पणी और बिडेन व राष्ट्रपति बराक ओबामा का यह मानना कि तालिबान शत्रु नहीं हैं, “चकित करने वाला, तथ्यगत रूप से गलत और अफगानिस्तान में संघर्ष कर रहे हमारे सैनिकों का घोर अपमान है।”