लखनऊ ।। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में शामिल हुई राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रदेश अध्यक्ष हरदेव सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश से मायावती सरकार को हटाने के लिए पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है।

विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का सबसे मजबूत विकल्प बनकर उभरेगा। हरदेव सिंह ने आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “जनता मायावती सरकार से त्रस्त हो गई है और उसे हटाना चाहती है..उसे एक मजबूत विकल्प की तलाश है। सपा को लोग पहले ही देख चुके हैं और भाजपा में विकल्प बनने की क्षमता नहीं है। ऐसे में कांग्रेस और रालोद ही बचे हैं, जो बसपा सरकार का विकल्प बन सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि रालोद का लक्ष्य मायावती सरकार को सत्ता से हटाने के साथ ही ऐसी कोई दूसरी सरकार को बनने से रोकना है और इसी सोच के साथ पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया।

सिंह ने कहा कि रालोद-कांग्रेस को सबसे सशक्त विकल्प के रूप में देखकर हमारे गठबंधन की ओर जनता आकर्षित होगी। उन्होंने कहा कि इस गठबंधन से दोनों दलों को धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाने में मदद मिलेगी।

कांग्रेस के साथ सीटों पर समझौते के बारे में सिंह ने कहा, “सीटों पर समझ्झौते को लेकर बातचीत चल रही है। करीब 65 सीटों पर हम दावा कर रहे हैं। रालोद अब केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पार्टी नहीं रही। हमने पूर्वाचल की भी कई सीटों पर दावा किया है।”

सिंह ने कहा कि संप्रग में शामिल हो चुका रालोद का कांग्रेस से गठबंधन सिर्फ उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव तक ही नहीं रहेगा बल्कि यह 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भी जारी रहेगा।

यह पूछे जाने पर कि महंगाई को लेकर कांग्रेस से नाराज जनता के गुस्से का सामना क्या विधानसभा चुनाव में उनके गठबंधन को करना पड़ सकता है, इस पर सिंह ने कहा, “महंगाई में पहले से कमी आई है। मुझे नहीं लगता है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में महंगाई कोई मुद्दा होगा।”

किसानों की राजनीति करने वाला रालोद खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए है..यह सवाल पूछे जाने पर सिंह ने कहा, “अब यह कोई मुद्दा है ही नहीं। इसलिए इस पर क्या राय दी जाए।”

बसपा सरकार द्वारा केंद्र को भेजे गए उत्तर प्रदेश के विभाजन के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश के संतुलित विकास के लिए राज्य का विभाजन होना जरूरी है। यह रालोद का संकल्प है। हम केंद्र सरकार पर दबाव बनाएंगे कि वह संसद में विभाजन का प्रस्ताव पास करके आगे का रास्ता प्रशस्त करे।”

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